शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2018

प्रथम विश्व युद्ध

नमस्कार दोस्तों मैं Av Hindi Creator आज आपको मेरी इस पोस्ट द्वारा प्रथम विश्व युद्ध की जानकारी उपलब्ध करवाने वाला हूं तो पढ़ते रहिए इस पोस्ट को अंत तक अब चलिए शुरू करते हैं:-


सन 1914 से 1918 ईस्वी तक लड़ा गया| प्रथम विश्व युद्ध विश्व इतिहास के महत्वपूर्ण घटना है विश्व युद्ध का प्रभाव संपूर्ण विश्व पर पड़ा, इस युद्ध से विश्व में कई क्रांतिकारी परिवर्तन हुए| प्रथम विश्व युद्ध के कुछ कारण बताए गए है:-

1. गुप्त संधियाँ एवं दो गुटों का निर्माण:-

प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व जर्मनी के बिस्मार्क ने कूटनीतिक संधियों द्वारा फ्रांस को अकेला कर दिया, फ्रांस ने रूस में इंग्लैंड के साथ संधि करके जर्मनी, ऑस्ट्रिया, इटली के त्रिकूट के विरुद्ध अपना त्रिगुट संग बना लिया| विश्व दो गुटों में बैठ गया|प्रथम विश्व युद्ध इन दोनों गुटों की शक्ति का प्रदर्शन था|

2. शस्त्रीकरण व सैन्यवाद:-

19वीं शताब्दी ईस्वी के उत्तरार्ध में यूरोप के अधिकांश देशों ने अपने शस्त्र बढ़ाने एवं सैन्यवाद को प्रोत्साहन दिया| सैनिक शक्ति के बल पर जर्मनी ने ऑस्ट्रिया को पराजित किया, अब फ्रांस, रूस में इंग्लैंड ने भी अपनी सैनिक शक्ति बढ़ाना आरंभ कर दिया ऐसी स्थिति में युद्ध होना ही था|

3. साम्राज्यवाद का प्रभाव:-

औद्योगिक क्रांति के बाद यूरोपीय देशों में समृद्धिवादी बनने की महत्वाकांक्षा बढ़ने लगी, कच्चा माल प्राप्त करने व पक्का माल बेचने के लिए अपने उपनिवेश स्थापित करने लगे, जिसने साम्राज्यवाद को प्रोत्साहन दिया| इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली आदि देशों ने कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, भारत, अफ्रीका और एशिया के देशों पर अधिकार कर के अपने साम्राज्य का विस्तार किया| साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा ने भी यूरोपीय देशों में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न की|

4. समाचार पत्रों का प्रभाव:-

इस समय यूरोप में समाचार पत्रों में भी युद्ध को प्रोत्साहन देने वाले समाचारों की अधिकता रही, इन समाचार पत्रों में एक दूसरे देश पर दोषारोपण को बढ़ावा दिया जाने लगा और भड़काने वाले लेख प्रकाशित किए जाने लगे| एक समाचार पत्र की पंक्तियां थी:- "रूस तैयार है फ्रांस को भी तैयार रहना चाहिए"

5. उग्र राष्ट्रीयता की भावना:-

राष्ट्रवाद की भावना के बल पर उग्र राष्ट्रीयता की भावना बढ़ने लगी, प्रत्येक राष्ट्र अपने राष्ट्र के विकास विस्तार सम्मान व गौरव के लिए अन्य देशों को नष्ट करने के लिए तैयार थे| फ्रांस, अल्सास व लोरेन प्रदेश चाहता था जब की राष्ट्रीयता की भावना के आधार पर पोल, चेक, सर्ब तथा बल्गर लोग ऑस्ट्रिया से अलग होना चाहते थे|

6. कैसर विलियम की महत्वाकांक्षा:-

जर्मन सम्राट कैसर विलियम जर्मनी को विश्व शक्ति बनाना चाहता था तुर्की से समझौता करके उसने बर्लिन बगदाद रेलवे लाइन का निर्माण कराया, नौसेना में विकास को लेकर उसने इंग्लैंड को नाराज कर दिया उसने विचार प्रकट किया कि समुद्री विस्तार जर्मनी की महानता के लिए अनिवार्य नियति है|

7. अंतरराष्ट्रीय संस्था का अभाव:-

उस समय ऐसी कोई अंतरराष्ट्रीय संस्था नहीं थी जो यूरोपीय देशों के आपसी विवादों को सुलझा कर उन्हें युद्ध से विमुख कर दें, प्रथम विश्व युद्ध के बाद ऐसी संस्थाओं का विकास हुआ|

8. अंतरराष्ट्रीय संकट एवं बाल्कन युद्ध का प्रभाव:-

बीसवीं शताब्दी के अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों से विश्व के राष्ट्र एक दूसरे के विरोधी हो गए और दो सशस्त्र गुटों में बट गए, 1904 से 1905 ईसवी का रूस, जापान, युद्ध मोरक्को व अगादिर संकट ऑस्ट्रिया द्वारा बोस्निया व हर्जगोवीना पर अधिकार व बाल्कन युद्ध इसी प्रकार के प्रमुख संकट थे|

9. तात्कालिक कारण:-

बोस्निया व हर्जगोवीना को लेकर सेर्बिया मे ऑस्ट्रिया विरोधी भावना थी ऐसे में आस्ट्रिया का राजकुमार फर्डीनेड व उसकी पत्नी की बोस्निया की राजधानी सराजेवो मे सर्ब युवकों ने 28 जून 1914 को सरेआम हत्या कर दी, इसी बात को लेकर 28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया| रूस ने सर्बिया के समर्थन में युद्ध प्रारंभ कर दिया, जर्मनी ने भी रूस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी इसी के साथ प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई|



युद्ध की प्रकृति:-

इस युद्ध में एक तरफ मित्र राष्ट्र थे एवं दूसरी तरफ धुरी राष्ट्र|मित्र राष्ट्रों में इंग्लैंड, फ्रांस, रूस, जापान, अमेरिका, इटली, सेर्बिया, पुर्तगाल, रोमानिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा व दक्षिण अफ्रीका शामिल थे, धुरी राष्ट्रों में जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, टर्की तथा बुल्गारिया आदि शामिल थे| युद्ध के प्रारंभिक वर्षों में धुरी राष्ट्र हावी रहे इसी बीच रूस युद्ध से अलग हो गया और 1918 ईस्वी में जर्मनी के साथ ब्रेस्ट लिटोवस्क की संधि कर ली, मित्र राष्ट्रों की विजय के साथ 11 नवंबर 1918 को प्रातः 11:00 बजे युद्ध समाप्त हुआ| युद्ध के बाद पेरिस शांति सम्मेलन हुआ और विभिन्न देशों के साथ अलग अलग संधिया की गई, जर्मनी के साथ वर्साय की संधि की गई|



युद्ध के परिणाम:-

— युद्ध में अपार जन व धन की हानि हुई युद्ध में करोड़ों सैनिकों ने भाग लिया जिसमें 1 करोड़ 30 लाख सैनिक मारे गए और 2 करोड़ 20 लाख सैनिक घायल हुए युद्ध में लगभग एक खरब 86 अरब डॉलर खर्च हुए और लगभग एक खरब की संपत्ति नष्ट हुई

— जर्मनी रूस ऑस्ट्रेलिया में निरंकुश राजतंत्र की समाप्ति हुई

— युद्ध के बाद शांति संधियों के माध्यम से अनेक परिवर्तन हुए चेकोस्लोवाकिया, युगोस्लाविया, लिथुआनिया, लेटेविया, एस्टोनिया, फिनलैंड, पोलैंड आदि नए राज्यों का उदय हुआ

— विभिन्न विचारधाराओं पर आधारित सरकारों की स्थापना हुई रूस में साम्यवादी सरकार जर्मनी में नाजीवाद इटली में फासीवाद सरकारों की स्थापना हुई

— अमेरिका ने युद्ध काल में बड़ी मात्रा में मित्र राष्ट्रों को उधार देकर आर्थिक सहयोग किया था पेरिस शांति सम्मेलन में भी अमेरिकी राष्ट्रपति विल्सन की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी इसी युद्ध से अमेरिका के प्रभाव में वृद्धि हुई

— युद्ध के समय घरेलू मोर्चे वे चिकित्सा क्षेत्र में स्त्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी अंतः स्त्रियों की स्थिति में सुधार आया था

— द्वितीय विश्व युद्ध का बीजारोपण भी इसी युद्ध के परिणाम स्वरुप हो गया था वर्साय की संधि से असंतुष्ट होकर जर्मनी वे इटली ने विश्व को दूसरे विश्व युद्ध की ओर धकेल दिया

— अमेरिकी राष्ट्रपति विल्सन के प्रयासों से विभिन्न देशों मे विवादों को सुलझाने के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना की गई यद्यपि विवादों को सुलझाने में यह संस्था सफल नहीं हुई

हमारी आज की पोस्ट यही समाप्त होती है, अगर आप के मन मे इस पोस्ट को लेकर कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बोक्स मे कमेंट करे|



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