सोमवार, 5 मार्च 2018

ग्रेट खली की पूरी कहानी

नमस्कार दोस्तों  आज में  (Av Hindi Creator) आप के लिए लाया हूँ  ऐतिसाहिक ओर मोटिवेशनल ब्लॉग, जिसमे आज हम बात करने वाले है दी ग्रेट खली की जिंदगी के बारे में ओर जानेंगे उनकी सफलता की कहानी को, तो बिना  समय नष्ट न करते हुए करते है शुरू।


तो चलिए शुरू करते है:-



तो दोस्तो आज मै बात करने जा रहा हु भारत के प्रोफशनल पहलवान दिलीप सिंह राणा की जिन्हें हम आमतौर पर दी ग्रेट खली के नाम से जानते है।
दोस्तो खली ऐसा नाम है जिसने देश-विदेश के कई बड़े पहलवानों के छक्के छुडाए है ओर रेसलिंग के खेल में भारत का नाम रोशन किया है।
ग्रेट खली ने जॉन सीना और ट्रिपल एच जैसे खूंखार  फाइटर्स को हराकर 2007-08 के वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप में जीत हासिल की, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने महान रेसलर ने अपना जीवन बहुत ही कठिनाइयों से शुरू किया उनके पिता एक किसान थे और घर के हालात कुछ इस तरह खराब थे कि बचपन में उन्हें पढ़ाई छोड़कर अपना पेट पालने के लिए मजदूरी करनी पड़ी लेकिन खली ने  हार न मानते हुए अपने आपको एक ऐसे मुकाम पर ला दिया कि वह आज अपने साथ-साथ अपने गांव के विकास के लिए भी पैसे खर्च करते हैं।


–ग्रेट खली की पूरी कहानी:-,

दिलीप सिंह राणा का जन्म 27 अगस्त 1972 को हिमाचल प्रदेश के धीरेना नाम की जगह पर हुआ था, उनके पिता का नाम ज्वाला राम था, जो खेतों में काम करके अपना घर चलाते थे लेकिन खाली को लेकर उनके कुल सात भाई बहन थे और फैमिली बड़ी होने की वजह से सिर्फ एक आदमी को घर चलाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।

 इसीलिए उनकी मां तन्नी देवी भी मजदूरी करती थी, खली भी अपने परिवार की आर्थिक हालत को देखते हुए ज्यादा दिनों तक पढ़ाई नहीं कर सके और फिर गांव में ही मजदूरी करने लगे, गांव के लोग भी उनके हाइट और बॉडी का फायदा उठाते थे और सभी भारी भरकम काम उन्हीं से करवाते थे, लेकिन दोस्तों बहुत कम लोगों को पता है कि खली का ऐसा शरीर एक्रोमेगली नाम की बीमारी से ग्रस्त होने की वजह से है और इस बीमारी की वजह से उनका चेहरा भी थोड़ा अजीब लगता है।

 गांव में तो सभी लोग खली की बॉडी और चहेरे से वाकिफ थे लेकिन जब कभी भी वह गांव से बाहर जाते थे तब लोग उन्हें देखकर इकट्ठे हो जाते हैं और उनका मजाक बनाते थे इन बातों का खली को बहुत दुख होता था, कुछ दिनों तक गाँव में मजदूरी करने के बाद जब उन्हें ज्यादा पैसों की जरूरत पड़ने लगी तो वह अपने गांव से शिमला चले गए और फिर वहां जाकर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगे लेकिन यह भी उनके लिए काफी नहीं था क्योंकि काम करने के बाद उन्हें जितना भी पैसा मिलता था उससे उनकी डाइट भी पूरी नहीं हो पाती थी और पैसे घर भेजने की तो बात ही छोड़ दीजिए।

 लेकिन तभी शिमला घूमने आए एक पंजाब पुलिस ऑफिसर की नजर खली पर पड़ी और वे उनके शरीर को देखकर मानो दंग रह गए, फिर उन्होंने खली की आर्थिक सहायता करते हुए उन्हें पंजाब आकर पुलिस में शामिल होने को कहा।

आखिर कार 1993 में खली को पंजाब पुलिस में नौकरी मिल गई ओर तब जाकर खली की जिंदगी भी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी लेकिन खली अभी रुकने वालों में से नहीं थे उनकी बॉडी को देखते हुए उन्हें जालंधर के एक जिम में रेसलिंग के लिए तैयार किया गया, क्योंकि उस समय रेसलिंग के खेल को लोग बहुत तेजी से पसंद कर रहे थे और भारत की तरफ से खेलने वाला कोई भी खिलाड़ी नहीं था।

 आखिरकार पूरी तैयारी के साथ अक्टूबर 2000 में खलीअमेरिका पहुंचे और पहली बार आल प्रो रेसलिंग में पार्टिसिपेट किया, दोस्तो जैसे ही पहले दिन खली ने रिंग में कदम रखा तो उन्हें देखकर बड़े-बड़े रेसलर भी कांपने लगे यहां तक कि 28 मई 2001 को खली की मार के वजह से ब्रायन ओग नाम के एक रेसलर की मौत तक हो गई।

2 जनवरी 2006 को खली WWE के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाले पहले भारतीय रेसलर बने, इसके बाद उन्होंने अंडरटेकर जैसे ताकतवर रेसलर को 10 मिनट में हराकर सबका ध्यान आकर्षित किया था ओर आगे चलकर बिग शो, मार्क हेनरी ओर बटिस्ट्टा
जैसे पहलवानों को मात देकर WWE का खिताब जीता, इसके बाद भी कई सालों तक खली का दबदबा कायम रहा और उन्हें बहुत सम्मान और पुरस्कार मिला दोस्तों WWE में सफर करना इतना आसान नहीं था यहां पर पैसा तो जमकर मिलता है पर उसके लिए पसीना भी बहाना पड़ता है लेकिन खाली ने अपने संघर्षों से दिखा दिया कि इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।।
यह आने के लिए धन्यवाद।।

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