शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

कौन होते है अघोरी साधु ?

नमस्कार, दोस्तो मै AV HINDI CREATOR लेकर आया हु आज एक  रोचक ब्लॉग।
आज के इस ब्लॉग में ,मैं आपको बताने वाला हूं  अघोरी साधुओं  के बारे में  की वह कौन लोग होते है,ओर भी बहोत कुछ ।।


तो शुरू करते है--

― कौन है अघोरी साधु:-





श्मशान यानी जिंदगी का आखिरी पड़ाव, ऐसा पड़ाव जहाँ जाने पर दुनिया की सारी चीजें बेनाम हो जाती है।
मगर जिंदगी के इस आखिरी पड़ाव पर कुछ लोग ऐसे भी है जो मुर्दों को नोच कर उनमें जिंदगी तलाशते हैं। उनके लिए इंसानी खोपड़ी शराब पीने का प्याला बन जाती है और मुर्दा निवाला, शमशान बिस्तर बन जाती है और चिता चादर, जब दुनिया सोती है तब वह जागते हैं, उनकी अलग ही मायावी दुनिया है।
हम बात कर रहे हैं शमशान की साधना में इंसानी चोलो को उतार कर फेंक देने वाले अघोरियों की।

 यह भारत के प्राचीन धर्म शिव साधना से संबंधित है अघोरियों को इस पृथ्वी पर शिव जी का जीवित रूप भी माना जाता है।
शिव जी के 5 रूपों में से एक अघोर रूप है, अघोरियों का जीवन जीतना कठिन है उतना ही रहस्यमय भी है। अघोरियों की साधना विधि सबसे रहस्यमय है, उनकी अपनी शैली अपना विधान है।

अघोरी उसे कहते हैं जो घोर नही हो यानी सरल और सहेज हो जिसके मन में कोई भेदभाव नहीं हो अघोरी हर चीज में समान भाव रखते हैं वह सड़े जीव के मांस को भी उतना ही स्वाद लेकर खाते हैं जितना कि स्वादिष्ट पकवान को स्वाद लेकर खाया जाता है।

अघोरियों की दुनिया ही नहीं उनकी हर बात निराली है वह जिस पर प्रसन्न हो जाए उसे रग से राजा बना देते हैं अपना सब कुछ दे देते हैं, लेकिन अगर वह नाराज हो जाए तो बहुत बुरा कर सकते हैं।

बहुत कम लोग जानते हैं कि अघोरी की साधना में कितना बल होता है वह मुर्दे से भी बात कर सकते हैं यह बातें पढ़ने में आपको जरूर अजीब लगेगी लेकिन इन्हें पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता।
 उनकी साधना को कोई चुनौती नहीं दे सकता अघोरियों के बारे में कई बातें प्रसिद्ध है जैसे कि वह बहुत ही हटी होते हैं अगर किसी बात पर अड़ जाए तो उसे पूरा किए बगैर नहीं छोड़ते, गुस्सा हो जाए तो किसी भी हद तक जा सकते हैं।

अधिकतर अघोरियों की आंखें लाल होती है जैसे की वह गुस्से में हो लेकिन उनका मन उतना ही शांत भी होता है, अघोरी गाय का मांस छोड़कर बाकी सभी चीजों को खाते हैं मानव के मल से लेकर मुर्दे का मांस तक।

अघोर पंथ में श्मशान साधना का विशेष महत्व है इसलिए वह श्मशान में रहना ही ज्यादा पसंद करते हैं माना जाता है कि श्मशान में साधना करना शीघ्र ही फलदाई होता है आज भी ऐसे अघोरी और तंत्र साधक है जो परम शक्तियों को अपने वश में कर सकते हैं यह साधनाऐ श्मशान में होती है और दुनिया में चार श्मशान घाट ही ऐसे हैं जहां तंत्र क्रियाओं का परिणाम बहुत ही जल्दी मिलता है उनके बारे में आगे बताया गया है।

1.तारा पीठ:-

यह मंदिर पश्चिम बंगाल के वीर भूमि जिले मैं स्थित है यहां तारा देवी का मंदिर है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां देवी सती के नेत्र गिरे थे इसलिए इस स्थान को नयनतारा भी कहा जाता है।
 तारा मंदिर का प्रांगण शमशान घाट के निकट स्थित है इसे महाश्मशान घाट के नाम से भी जाना जाता है इस महाश्मशान घाट में जलने वाली चिता की अग्नि कभी बुझती नहीं है।
यहां लाने पर लोगों को किसी प्रकार का भय नहीं होता मंदिर के चारों ओर द्वारका नदी बहती है इस श्मशान में साधक दूर-दूर से साधनाएं करने आते हैं।



2.कामाख्या पीठ:-

असम राज्य की राजधानी दिसपुर से 6 किलोमीटर दूर स्थित नील शैल पर्वतमाला पर स्थिति मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती के 51 शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है यही भगवती की महामुद्रा यानी योनि कुंड स्थित है यह स्थान तांत्रिक लोगों के लिए स्वर्ग के समान है यहां स्थित श्मशान में भारत के विभिन्न स्थानों से तांत्रिक तंत्र शक्ति प्राप्त करने आते हैं।



3.नासिक:-

त्रिदेव के ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में 3 ज्योतिर्लिंग है ब्रह्मा विष्णु और महेश।
यह ज्योतिर्लिंग इन तीनों देवों के प्रति माने जाते हैं,भगवान शिव को तंत्र शास्त्र का देवता माना जाता है।
तंत्र के जन्मदाता भगवान शिव ही है, यहां स्थित श्मशान भी तंत्र विद्या के लिए प्रसिद्ध है।



4.उज्जैन:-

महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है यह मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में है स्वयं भव्य और दक्षिण मुखी होने के कारण महाकालेश्वर को अत्यंत पुण्य दायक माना जाता है।
इस कारण तंत्र शास्त्र में भी शिव के इस शहर को बहुत जल्दी फल देने वाला माना जाता है, यहां के शमशान में दूर-दूर से साधक तंत्र क्रिया करने आते हैं।

अघोरियों का जीवन बहुत मुश्किल होता है सभी साधु इस साधना को पूरा नहीं कर पाते पूरे भारत में ऐसे मात्र 1500 अघोरी साधु है, लेकिन वह कहीं भी आपको नहीं मिलेंगे क्योंकि वह शिव साधना में हमेशा लीन रहते हैं।
और शमशान से कभी बाहर नहीं निकलते, वह किसी को डराते नहीं डराने वाले अघोरी साधु वास्तव में अघोरी तांत्रिक होते हैं ।



आखिर में दो शब्द अघोरी साधुओं के समक्ष रखना चाहूंगा:-
।। अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चंडाल का , 
काल भी उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का ।।

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