शुक्रवार, 16 मार्च 2018

चाँद क्या है और क्यो है ?

नमस्कार दोस्तो, एक बार फिर स्वागत है आपका Av Hindi Creator में, आज हम एक रोचक टॉपिक पर बात करने वाले है, जिसमे हम जानेगे चाँद की कुछ रोचक बातें, तो अब ज्यादा समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए शुरू करते है:-

      चाँद क्या है और क्यो है ? What is Moon & Why



चांद बहुत खूबसूरत है और यह धरती की शुरुआत से लेकर अभी तक हमारी धरती के साथ बना रहा है, चांद पर ही नजर रखते हुए हम लोगों ने कैलेंडर को बनाया और चांद को लेकर कई कहानियां भी बनाई गई, इसे देखकर भेड़िए आवाज निकालते हैं और यह रात के अंधेरे में हमें एक ठंडा प्रकाश प्रदान करता है, इसी के चलते हमारे सौरमंडल में पृथ्वी एक बैलेंस में रहती है अगर चांद नहीं होता तो अब तक हम लोग भी जिंदा नहीं रहते, चांद हमारी धरती के करीब तो है पर चांद से जुड़ी आज भी ऐसी कई चीजें हैं जो हम नहीं जानते।

हम चांद के बारे में पहले कुछ नहीं जानते थे पर अपोलो-11 एक पहला मिशन था जिसके चलते इंसान ने पहली बार चांद पर कदम रखा था और ऐसी कई थ्योरी यानी कि सिद्धांत निकाले गए जो चांद के कई रहस्यों को परिभाषित करने की कोशिश करते हैं, नवंबर 1969 में नासा के अपोलो मिशन में उन अंतरिक्ष यात्रियों ने चांद के ऊपर एक सैटेलाइट को जानबूझकर टकराकर कुछ क्षेत्र तक एक गड्ढा बनाने की कोशिश की थी, जब उस सैटेलाइट और चांद का मिलन हुआ और वह गड्ढा बना तब बिल्कुल एक घण्टे की तरह चांद का सतह कई दिनों तक कंपन करता रहा, आप ऐसा मान लो कि कोई सैटेलाइट एक ऐसी चीज से टकराई हो जो की अंदर से खोखली हो बिल्कुल एक बेल्ल यानी कि घण्टे के जैसे, अगर चांद एक सामान्य कठोर बॉडी होती तो ऐसा कभी नहीं होता, इस चीज को देखकर वैज्ञानिक पूरी तरह से चौक गए थे क्योंकि इससे यह पता चलता है कि चांद अंदर से पूरी तरह खोखला है उन्होंने सोचा कि कुछ तो गड़बड़ है।

 हमने आज तक चांद के बारे में जो भी माना है वह शायद गलत हो, चांद के बारे में कई सामान्य सी चीजें हैं जो कि हम नहीं जानते और आज तक हम लोग इसे समझने में असमर्थ रहे हैं, चांद के खोखले होने वाली बात तो आप लोगों ने जान ली, पर वर्षों गुजर गए पर चांद आखिर बना कैसे ? इसे आज तक कोई भी वैज्ञानिक पूरी तरह से परिभाषित नहीं कर सका है कुछ वैज्ञानिक कहते हैं की एक बड़ा सा उल्कापिंड जब धरती से टकराया तब धरती से कुछ हिस्सा टूटकर अलग हो गया और वह चांद बन गया, पर इस सिद्धांत में मुश्किल यह है कि चांद और धरती में चांद की सतह और उसके अंदर का भाग धरती से बहुत ज्यादा अलग है और कई वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि कोई गोल उल्का पिंड अंतरिक्ष में धरती के करीब से गुजर रहा था तभी धरती ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और तब से वह धरती के चारों ओर चक्कर काटने लगा।

पर चांद धरती से सिर्फ 4 गुना ही छोटा है और अगर हम चांद के विज्ञान को देखते हुए बात करें तो प्रेक्टिकली यह असंभव है कि किसी गुजरते हुए उल्कापिंड को धरती अपनी तरफ खींच ले और वैसे भी चांद किसी भी प्रकार के उल्कापिंड से बहुत ज्यादा बड़ा है, वैज्ञानिक दृष्टि से किसी उल्कापिंड को तो धरती अपनी तरफ खींच लेती है पर चांद को नहीं खींच सकती है इसीलिए वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि चांद की प्राकृतिक सैटेलाइट वाली बात गलत है मतलब कि चांद को किसी दूसरे ग्रह के बुद्धिमान जीवो ने बनाया है, चांद पर जितने भी बार मिशन हुए हैं उन सब में हमें इसके बारे में बहुत कम जानने को मिला है चांद का गुरुत्वाकर्षण बल भी एक बहुत अजीब तरह से काम करता है इसके गुरुत्वाकर्षण बल को समझने के लिए कई मिशंस किए गए पर आज तक किसी को भी इसकी पूरी सच्चाई पता नहीं चल सकी।

चांद का आकार भी एक बहुत बड़ा रहस्य है, किसी भी ग्रह का उपग्रह तो आकार में उस ग्रह से छोटा होता है यह बात तो सही है पर चांद को धरती के हिसाब से बहुत छोटा होना चाहिए था मतलब की चांद जो है वह धरती के मुकाबले ज्यादा छोटा नहीं है चांद धरती का 1/4 है यानी कि पूरी धरती में चार चांद समा सकते हैं पर अगर आप बाकी ग्रहों से इसकी तुलना करो तो जैसे कि हम जुपिटर को ही ले लेते हैं उसके बहुत सारे उपग्रह हैं पर उसके सारे उपग्रह उसके आकर के 1/88 से भी कम है यानी कि जुपिटर का चांद जुपिटर से अट्ठासी गुना ज्यादा छोटा है एक जुपिटर में अट्ठासी चांद समा जाएंगे मतलब उसका चांद बहुत ज्यादा छोटा है और वैज्ञानिकली होना भी चाहिए, पर अब देखा जाए तो धरती का चांद बाकी सब से कुछ ज्यादा ही बड़ा है धरती के आकार के इसके आसपास के जो ग्रह हैं जैसे कि मरक्यूरी आदि इनके तो कोई चांद ही नहीं है पर आप धरती को देखो और उसके चांद को देखो जो धरती से सिर्फ चार ही गुना छोटा है यही इसे बहुत बड़ा रहस्य बनाता है मतलब कि चांद का आकार और भी ज्यादा छोटा होना चाहिए था नहीं तो यह होना ही नहीं चाहिए था।

नासा के एक वैज्ञानिक रोबिन ब्रेट ने कहा था की चांद के होने से ज्यादा चांद के नहीं होने को समझाना ज्यादा आसान है और इन्हीं सब चीजों के चलते वैज्ञानिकों का शक और भी ज्यादा बढ़ जाता है की चांद किसी और के द्वारा जैसे कि एलियन के द्वारा बनाया गया तो नहीं है, चांद का धरती के चक्कर काटना भी एक बहुत बड़ा रहस्य है चांद धरती के चारों तरफ एकदम परफेक्ट तरीके से गोलाकार आकृति में चक्कर लगाता है पर हमारे सौरमंडल में जितने भी उपग्रह किसी ग्रह का चक्कर लगा रहे हैं वह इसकी तरह इतना परफेक्ट तरीके से चक्कर नहीं लगाते और चांद धरती को बहुत हद तक नियंत्रण भी करता है, यह धरती के घूमने को जैसा होना चाहिए वैसा ही रखता है अगर चांद नहीं होता तो हमारे धरती का जो एक्सिस है वह और भी ज्यादा झुक जाता और जिस कारण सूरज का प्रकाश सीधा धरती के उत्तर और दक्षिण हिस्से पर पड़ता और इसके चलते धरती पर आज जो मौसम बना रहता है वह पूरी तरह से बदल जाता।

यह अजीब इसलिए है क्योंकि चांद जिस हद तक धरती को नियंत्रित करता है वह कुछ ज्यादा ही है, चांद का होना? , चांद का आकार ?, चांद कैसे बना ?, चांद धरती के चारों ओर पर्फेक्ट सर्कुलर ऑर्बिट में कैसे घूमता है ?, चांद धरती को इतनी हद तक नियंत्रित कैसे कर लेता है ?, इन सब प्रश्नों का उत्तर विज्ञान को अब तक नहीं मिला है और इन सब प्रश्नों के उत्तर नहीं होने के चलते कई वैज्ञानिक भी यह मानने लगे हैं कि चांद को दूसरे ग्रहों के जंतुओं ने बनाया है, कई विचारको का तो यह भी मानना है कि धरती पर जीवन को संभव करने के लिए एलियंस ने चांद को बनाया और वह इसे बनाकर अपने सौरमंडल में वापस चले गए और वह बीच-बीच में अपने इस निर्माण को देखने आते रहते हैं।

 अपने अपोलो मिशन में नील आर्मस्ट्रांग और उनके क्रू मेंबर्स ने कई अंतरिक्ष यानों को देखा था उन्होंने खुद कहा था की उनके अंतरिक्ष यान का वह लोग पीछा कर रहे थे कोई उनका पीछा कर रहा था और कई लोगों का यह मानना है कि नासा ने इस घटना को गहराई से नहीं बताया है, जब वह चांद पर उतर रहे थे तब 2 मिनट के लिए उनका कनेक्शन धरती पर मौजूद कंट्रोल रूम से टूट गया था, बीच-बीच में सिग्नल गायब हो रहे थे और कोई दूसरे सिग्नल आ रहे थे।

इसरो और नासा और भी कई चांद पर जाने के मिशंस को अंजाम दे रहे हैं और शायद वह भविष्य में इन सवालों के जवाब खोज ले।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने के लिए धन्यवाद।।

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