शुक्रवार, 9 मार्च 2018

साईकिल का इतिहास

हैल्लो दोस्तो मै AV HINDI CREATOR आज आपके लिए लाया हूँ एक हिस्टोरिकल ब्लॉग जिसमे आज मैं आपको बताने वाला हूं साईकिल का पूरा का पूरा इतिहास , जिसमे कुछ रोचक बातें भी है।
तो अब समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।

तो चलिए शुरू करते है:-



आज के समय में वाहन की बात की जाए तो एक से बढ़कर एक लाजवाब गाड़ियां उपलब्ध है, कभी एक समय था जब हर किसी के पास साइकिल होती थी आम लोगों के लिए इससे बढ़िया यातायात का साधन कोई होता ही नहीं था।
 आज के समय में इसका वजूद कहीं खोता जा रहा है अब सड़कों पर कार और बाइक इतनी ज्यादा दिखाई देती है कि साइकिल का तो कोई नाम भी लेने को तैयार नहीं, भले ही यह आज हमारे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन इसका इतिहास बताता है कि यह कितनी खास थी।



― साईकिल का इतिहास History of Cycle ―

साइकिल के इतिहास में कई लोगों का योगदान रहा है इसीलिए किसी एक को इसका श्रेय देना आसान नहीं है, इसका इतिहास आज भी वैज्ञानिकों के बीच एक बहस का मुद्दा बना हुआ है साइकिल का असल जनक कौन है यह बताना थोड़ा मुश्किल है साइकिल के असली निर्माता के बारे में भले ही किसी को नहीं पता हो लेकिन इससे जुड़ी हुई कुछ धारणाएं जरूर है।

 माना जाता है कि पहिए के एक वाहन बनाने की शुरुआत 1418 में की गई थी GIOVANNI FONTANA नामक इटली के इंजीनियर को सबसे पहले साइकिल का निर्माता माना जाता है, साइकिल के प्रचलन में आने से कई सालों पहले ही इसकी खोज शुरू हो गई थी, कहते हैं की साइकिल शुरुआत से ही दो पहियों की नहीं होती थी इसे चार पहियों वाला बनाया गया था इसे ऐसा इसलिए बनाया गया था क्योंकि इसे चलाने में कोई बाधा ना आए GIOVANNI FONTANA ने चार पहिया वाहन जैसा ही कुछ बना दिया था लेकिन 400 सालों तक किसी ने उस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया था और उनकी यह खोज वक्त की धूल में कहीं दबी रह गई।

 400 साल बाद 1813 में एक जर्मन इन्वेंटर KARL FREIHERR VON DRAIS ने साइकिल बनाने का जिम्मा अपने ऊपर लिया, 1817 में उन्होंने चार पहिया साइकिल को बदलकर दोपहिया कर दिया और उनका यह आविष्कार काफी लोकप्रिय हुआ, यूरोप में उसे लोग हॉबी हॉर्स के नाम से जाना करते थे, उन्होंने साइकिल का निर्माण तो कर दिया था पर उनकी साइकिल में अभी भी बहुत सी कमियां थी सबसे बड़ी बात तो यही थी कि उनकी बनाई गई साइकिल को चलाने वाले को अपने पैरों से धकेलना पड़ता था जिससे यह काम बहुत थका देने वाला होता था इस मेहनत को खत्म करने के लिए ही पैडल का आविष्कार हुआ।

 पैडल बनाने का श्रेय स्कॉटलैंड के एक लोहार जिसका नाम KIRKPATRICK MACMILLAN था उन्हें जाता है, कहते हैं कि 1839 में उन्होंने कुछ लोगों को साइकिल को चलाते हुए देखा, उसने गौर किया कि वह लोग साईकिलों को अपने पैरों से धक्का मार रहे हैं साइकिल इस तरह चलाने से सब जल्दी थक जाएंगे और उसका मजा कम हो जाएगा, इसी सोच के चलते वह साइकिल चलाने के आसान तरीकों को ढूंढने लगे क्योंकि वह एक लोहार थे इसलिए उन्होंने अपने हुनर का इस्तेमाल करते हुए साइकिल के लिए कुछ बनाने की सोची और उन्होंने कुछ ही वक्त में पैडल तैयार कर लिया उन्होंने जैसे ही इसे साइकिल में लगाया साइकिल का पूरा हिसाब ही बदल गया, अब उसे पहले की तरह धक्का देकर चलाने की जरूरत नहीं थी अब वह ज्यादा आरामदायक हो गई थी उनकी बनाई गई साइकिल लकड़ी के फ्रेम की थी लेकिन पहियों को मजबूती देने के लिए लोहे का प्रयोग किया गया था साइकिल को सब चला सके इसलिए उन्होंने इसमें स्टेरिंग भी लगाया, उन्होंने इसमें बहुत सी चीजें लगा दी थी जिस कारण साइकिल का वजन काफी बढ़ गया था माना जाता है कि उनकी साइकल का वजन करीब 26 किलो था।

 समय के साथ इसमें कई सुधार किए गए 1870 में आई साइकल अब पूरी तरह से धातु की फ्रेम की हो गई थी, इसके साथ ही अब इसमें रबड़ के टायर का इस्तेमाल भी शुरू हो गया था रबड़ के प्रयोग से साइकिल की सवारी और भी आरामदायक हो गई थी 1870 से 1880 तक इस तरह की साइकिल को PENNY FARTHING कहां जाता था, इसको अमेरिका में बहुत लोकप्रियता मिली इसने बहुत से लोगों का ध्यान अपनी और खींचा क्योंकि इसका आगे का पहिया बहुत बड़ा और पीछे का पहिया बहुत छोटा था, इसे चलाने में थोड़ी असहजता तो होती थी लेकिन उस समय बस यही एक साइकिल थी जो चलाने योग्य थी, माना जाता है कि यह साइकिल सुरक्षित नहीं होती थी इसमें दुर्घटना का ज्यादा खतरा था।

 अब किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे एक सुरक्षित साइकिल बनाई जाए, 1880 में इस काम को JOHN KEMP STARLEY द्वारा अंजाम दिया गया, जब उन्होंने रोवर साइकिल का निर्माण किया, कहते हैं कि यह पहली बार था जब किसी साइकिल को मौज मस्ती के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा के लहजे से भी बनाया गया था, इसकी खासियत यह थी कि इसमें पहले की साइकिलों की तरह पेडल आगे के पहियों में नहीं बल्कि पीछे के टायर से जुड़े होते थे जैसे कि अभी की साइकिल में होते हैं, इसके बाद से साइकिल के इतिहास में काफी तेजी आई।

 1920 के दशक में बच्चों के लिए साइकिलो को बनाना शुरु कर दिया गया, 1960 के दशक में साइकिल इतनी लोकप्रिय हो गई की इनका प्रयोग रेसिंग में भी किया जाने लगा, समय के साथ-साथ साइकिल में कई बदलाव किए गए और आज के समय तक साइकिल में बदलाव जारी है, पहले कभी पैैैडल वाली साइकिल हुआ करती थी उसके बाद उनमें गियर जैसी सुविधाएं भी दी गई, कई तरह के धातुओं से साइकिल को बनाने का काम चलने लगा क्योंकि अब जमाना डिजिटल हो रहा है इसलिए साइकिल पर भी इसका असर दिख रहा है।

 आज के जमाने में इलेक्ट्रॉनिक साइकिले आने लगी है यह बहुत ही डिजिटल तकनीक के साथ आती है, इनमें बैटरी का प्रयोग होता है और इन साइकलों का चलन आज के समय में बहुत हो रहा है इनके अंदर ट्रैकर तक लगा होता है जिससे इसे कोई चुरा ना सके, इलेक्ट्रॉनिक हो या पैडल वाली, साइकिल बहुत ही बढ़िया सवारी रही है हां यह बात भी सही है कि वक्त के साथ इस का चलन भी थोड़ा कम हुआ है लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से अभी भी इसका कोई विकल्प नहीं है वैसे भी बदलती तकनीक ने इसको चलाने का रोमांच और भी बढ़ा दिया है।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यहाँ आने का धन्यवाद।।

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