मंगलवार, 13 मार्च 2018

क्या समय यात्रा संभव है?

नमस्कार दोस्तो, आपका एक बार फिर स्वागत है मै Av Hindi Creator आज आपके लिए लेकर आया हूं बेहद रोमांचक पोस्ट , जिसमे आज हम बात करेंगे समय यात्रा के बारे मे ओर जानेगे की यह सम्भव है या नही, तो ज्यादा समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए शुरू करते है:-

 ◆ समय यात्रा संभव है ? ◆






समय यात्रा विज्ञान का एक बहोत ही विवादास्पद और आकर्षक टॉपिक है, समय यात्रा के बारे मेंं तो आपने जरूर सुना होगा ओर इसके बारे मेंं आपने इंटरनेट पर बहुत सारी वीडियो और ब्लॉग्स पढ़े होंगे, पर इस पोस्ट में आपको समय यात्रा से संबंधित सारी जानकारी मिल जाएगी, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपका समय यात्रा का सारा कांसेप्ट क्लियर हो जाएगा।

समय यात्रा वह होती है जिसमें हम समय में आगे या पीछे जा सकते हैं, जहाँ तक कि लोगो का यह मानना है की समय यात्रा एक सच्चा सिद्धान्त नही है यह बस साइंस फिक्शन है, तो में आपको बता दु की विज्ञान की दुनिया मे साइंस फिक्शन तो होता ही है पर कुछ चीजें सही प्रयोगों पर आधारित होती है, जिसे हम साइंटिफिकली प्रूव्ड कहते है ओर कुछ जिसे जो रियल एक्सपेरिमेंट पर नही बल्कि थोरेक्टली प्रूव्ड होती है गणित के जरिए, जिन्हें हम थोरेक्टली प्रूव्ड कहते है।

आइंस्टाइन ओर बाकी कई वैज्ञानिकों की थ्योरीज़ समय यात्रा को स्वीकृति देती है और यही वजह है कि यह इतना विवादास्पद टॉपिक है।

अब मैं आपको यह बताना चाहता हु की अभी जो मेने आपको बताया था कि यह प्रेक्टली प्रूव्ड नही है, यह बात सही भी है और नही भी क्योकि एक छोटे स्केल पर समय यात्रा भी प्रूव्ड है, एक प्रयोग में समय यात्रा की गई थी पर सिर्फ कुछ नेनो सेकंड के लिए, यह कोई ज्यादा बड़ा समय तो नही है लेकिन इससे कम से कम हमे यह तो पता चलता है कि समय यात्रा सम्भव है।
यह एक्सपेरिमेंट अक्टूबर 1971 में हुआ था और इस प्रयोग का नाम है HAFELE KEATING EXPERIMENT. 

एस्ट्रोनॉट रिचर्ड केटिंग ने 4 एटॉमिक घडियों को लेकर उड़ान भरी थी और उन्होंने पूरी धरती का 2 चक्कर लगाया और जब वह पूरे 2 चक्कर लगाकर यूनाइटेड स्टेट के नेवाल ऑब्जरेट्री में आए तब उन्होंने दोनों घडियों के समय को मिलाया, अब इसमें रोचक बात यह है कि उस ऑब्जरेट्री की घड़ी उनके प्लेन में मौजूद घड़ी से कुछ नैनो सेकंड आगे थी, अब हम जैसे कि उदाहरण के तौर पर समझे तो अगर दोनों घड़ियों का शुरुआत का समय 4:10 और 10 करोड़ 10 लाख नैनो सेकंड था और अगर हम मान ले कि 4 घंटे के बाद वह वापस धरती पर आए तब दोनों घड़ी का समय 8:10 और 10 करोड़ 10 लाख नैनो सेकंड होना चाहिए पर उनके हवाई जहाज के घड़ी का समय ऑब्जर्वेटरी के घड़ी से 10 लाख नैनो सेकंड पीछे था मतलब 8:10 और 10 करोड़ नैनो सेकंड बज रहा था।

 अब कुछ लोग कहेंगे कि यह तो बस कुछ नैनो सेकंड्स का फर्क है तो इससे क्या फर्क पड़ता है शायद वह घड़ी खराब होगी, पर मैं आपको बता दूं कि वह प्रयोग किसी सामान्य घड़ी या फिर किसी एडवांस इलेक्ट्रॉनिक घड़ी से नहीं हुआ था, वह प्रयोग एक एटॉमिक घड़ी से किया गया था इस दुनिया में एटॉमिक घड़ी से ज्यादा सटीक और कुछ भी नहीं है, यह 1 सेकंड के करोड़वे हिस्से को भी रिकॉर्ड कर सकता है।

 तो अब इस प्रयोग से आखिर साबित क्या हुआ ? इस प्रयोग से साइंटिफिकली यह साबित हुआ कि धरती पर एक जगह पर रखी घड़ी उस हवाई जहाज के घड़ी से ज्यादा तेज थी, क्या धरती पर रखी घड़ी तेज हुई या फिर हवाई जहाज में रखी घड़ी धीरे हुई ? सही में हवाई जहाज वाली घड़ी धीरे हो गई थी इसका मतलब यह है कि कोई भी चीज जितनी तेज चलेगी उसके समय की रफ्तार उतनी ही कम होगी।

 यह इतिहास का एकमात्र अकेला साबित हुआ प्रयोग है जो की समय यात्रा को संभव बनाता है, धरती पर रखी हुई घड़ी तो एक जगह पर थी पर उस हवाई जहाज में रखी हुई घड़ी 900 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से सफर कर रही थी इसका मतलब यह है कि चलती हुई किसी भी चीज के लिए समय धीरे चलता है उसके मुकाबले जो चीज एक जगह पर पड़ी हुई है, अब अगर हम गहराई से देखें तो हमें यह पता चलता है कि जब आप किसी बस या कार में सफर करते हो तब आप का समय धीरे हो जाता है उसके मुकाबले जब आप अपने घर में बैठे रहते हो।

 जी हां यह आपको थोड़ा अजीब लगेगा पर यह सच है, इसमे मिली सेकंड के करोड़वे हिस्से का फर्क तो जरूर पड़ता है, तो अगर हम भविष्य में समय यात्रा करना चाहते हैं तो इस प्रयोग का उपयोग किया जा सकता है पर मिली सेकंड भविष्य में जाकर हम क्या करेंगे ?
 तो अब मान लीजिए कि आपको 5 साल आगे भविष्य में जाने का मन है तो इसके लिए आपको बहुत ज्यादा तेजी से सफर करना पड़ेगा और बिल्कुल यही बात महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग्स ने बताया था, ज्यादातर समय यात्रा के स्त्रोत में आपको यह पता चल जाएगा कि अगर आप प्रकाश की गति से सफर करोगे तो आप समय यात्रा आसानी से कर लोगे पर यह कोई नहीं बताता कि आखिर कैसे ? तो इसके पीछे का पूरा रहस्य मैंने आपको बता दिया है और इसलिए यह कहा जाता है कि अगर आप प्रकाश की गति से सफर करोगे तो आप समय यात्रा कर लोगे।

 अब होता यह है कि जब आप प्रकाश की गति से सफर करते हो तो आपके लिए समय बहुत धीरे हो जाएगा उसके मुकाबले जो कि धरती पर मौजूद है, अगर आप किसी अंतरिक्ष यान में प्रकाश की गति के समीप और या फिर प्रकाश की गति पर ही सफर करोगे तो आप समय यात्रा कर लोगे, इतनी गति वाले अंतरिक्ष यान में अगर आप 3 साल भी सफर करते हो और फिर धरती पर आते हो तो आप को यह पता चलेगा कि धरती पर 900 साल बीत गए है क्योंकि आपके लिए तो समय धीरे हो जाता है पर बाकी दुनिया के लिए नहीं, इसीलिए आपके लिए वह कम समय होगा लेकिन दूसरों के लिए वह सामान्य समय होगा।

 तो इसी तरह आप समय यात्रा कर सकते हो पर इसमें एक मुश्किल यह है कि आप फिर से भूतकाल में नहीं आ सकते, अगर इस प्रयोग से आप भविष्य में चले गए तो फिर आपको हमेशा के लिए वहीं पर रहना पड़ेगा, तो यही है भविष्य में जाने का विज्ञान पर अब बात आती है कि यह प्रैक्टिकल क्यों नहीं है, थ्योरेटिकल क्यो है ?

 यह इसलिए क्योंकि प्रकाश की गति से चलने वाली ट्रेन बनाना बिल्कुल भी प्रेक्टिकल नहीं है क्योंकि अगर हम लोगों ने ऐसी मशीन बना भी ली तो इसे ऐसी कोई ऊर्जा की सोर्स नहीं दे सकेंगे जिससे यह चल सके, तो इसलिए हम यह कह सकते हैं की भविष्य की समय यात्रा नामुमकिन तो नहीं पर प्रेक्टिकल भी नहीं है।

 चलो अब हमने भविष्य में जाने के लिए समय यात्रा की बात तो कर ली तो अब हम भूतकाल में जाने की समय यात्रा की बात करते हैं, तो देखिए भूतकाल में आप किसी प्रकाश की गति से जाने वाले तरीके से नहीं जा सकते क्योंकि भूतकाल में जाना भविष्य में जाने से भी ज्यादा विवादास्पद है, एक विरोधाभास के चलते जिसका नाम है द ग्रांडफादर पैराडॉक्स, यह बहुत ही फेमस पैराडॉक्स है यह पैराडॉक्स कहती है कि मान लीजिए कि आप किसी भी तरह समय यात्रा करके भूतकाल में चले गए और आपने अपने दादाजी को ही मार दिया तो आप भी कैसे रहोगे ? मेरा मतलब यह है कि जब आपने अपने ही दादा जी को भूतकाल में जा कर मार दिया तो फिर भविष्य में आपका जन्म कैसे होगा ? आप तो पैदा ही नहीं हुए और अगर आप पैदा ही नहीं हुए तो उन्हें मारा ही किसने ?

 एक बार इस चीज को सोच कर देखिए यह एक सुपर कन्फ्यूजन प्रॉब्लम है जिसका कोई उत्तर नहीं है, इसलिए बहुत सारे लोगों का यह मानना है कि भूतकाल में जाना नामुमकिन है, स्टीफन हॉकिंग्स का यह कहना है कि यह संभव है और वह तरीका है वार्म होल, इसके बारे में सबसे पहले अलबर्ट आइंस्टाइन ने बताया था इसलिए वार्म होल का दूसरा नाम आइंस्टाइन रोजन ब्रीज है।

 अब वार्म होल क्या है ? आप वार्म होल को एक सुरंग कह सकते हो जो ब्रह्मांड के दो जगहों और दो समय को जोड़ता है, पर जानते हो यह कुछ ज्यादा ही नॉन थ्योरेटिकल चीज है, मतलब वैज्ञानिकों ने यह दावा तो जरूर किया है की वार्म होल तो मौजूद है पर आज तक किसी ने भी एक भी वार्म होल को देखा नहीं है, तो हां आप यह कह सकते हो कि इसके होने की संभावना बहुत कम है और यह एक रहस्य है और यह बस गणितीय तौर पर साबित है प्रेक्टिकली नहीं।

 समय यात्रा का सबसे रोचक तरीका है टाइम मशीन, पर टाइम मशीन कुछ ज्यादा ही साइंस फिक्शन हो जाएगा, इसे चलाने के लिए हमें एक स्पेशल तरह की उर्जा चाहिए जिसका नाम है नकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा भी एक थ्योरेटिकल कांसेप्ट है जो कि सिर्फ गणितीय रूप से साबित है और टाइम मशीन बनाने का कोई स्पेशल फार्मूला भी नहीं है किसी के पास, पर मैं यह आशा करता हूं कि शायद हम भविष्य में टाइम मशीन बना ले।

 तो इसीलिए अंत में जाकर यह बात साबित होती है कि  भविष्य की समय यात्रा करना तो प्रेक्टिकली प्रूव्ड है लेकिन भूतकाल की समय यात्रा करना बस थ्योरेटिकली गणितीय रूप से साबित है।

तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने का धन्यवाद।।


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