शुक्रवार, 16 मार्च 2018

Deja Vu क्या है

नमस्कार दोस्तो, आपका एक बार फिर स्वागत है Av Hindi Creator में, आज के हमारे इस टॉपिक के बारे में बहुत कम लोग जानते है इसलिए आज हम बात करने वाले है डेजा वू के बारे में की आखिर यह होता क्या है?, तो समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए शुरुर करते है:-

  ◆ क्या होता है डेजा वू Deja vu ? ◆



क्या आप लोगों ने कभी ऐसा अनुभव किया है कि आप जो काम आज कर रहे हैं वह पहले भी कर चुके हैं, जी हां आप में से कई लोगों ने इसे अनुभव किया होगा, तो आखिर ऐसी चीजों के पीछे का रहस्य क्या है?

 हमे ऐसा क्यों अनुभव होता है की हम इस जगह पहले भी आकर यही काम कर चुके हैं, लेकिन अगले ही पल आपके दिमाग में आता है कि आप तो यहां पहली बार आ रहे हैं, मान लीजिए कि आप अपने दोस्तों के साथ किसी जगह बैठकर मस्ती कर रहे हैं और अचानक से आपको यह लगने लगता है कि यह सब चीज आप पहले भी कर चुके हैं उस वक्त आप के आस पास होती हुई हर एक घटना या छोटी से छोटी बात भी आपको फिर से होती हुई महसूस होती है।

 यह अनुभव सिर्फ कुछ समय तक होता है उसके बाद यह अनुभव होना बंद हो जाता है तो आखिर यह है क्या ? और होता क्यों है? क्या इसका कोई नाम है?

 इस चीज को डेजा वू कहा जाता है जो कि एक फ्रेंच शब्द है जिसका मतलब है कि पहले से देखा हुआ, जो लोग इसे महसूस करते हैं उन्हें लगता है कि यह चीजें पहले भी हो चुकी है या फिर पहले भी देखी है, वह नहीं जानते कि ऐसा कब हुआ था या कब देखा था लेकिन दिमाग में इससे पहले भी कभी देखें होने का अनुभव होता है।

 यह एक जटिल घटना है और यह क्यों होता है इसके कई सिद्धांत हैं, पूरी दुनिया में 90% लोग डेजा वू को महसूस करते हैं, 8 से 9 की उम्र वाले बच्चों यानी कि छोटे बच्चों को यह महसूस नहीं होता है, इन सब में से जिनकी आयु 15 से 25 साल के बीच में है उनको यह अनुभूति सबसे ज्यादा होती है इसलिए यह इंसानी दिमाग से जुड़ी हुई चीज है।

 मिर्गी के रोगियों में यह चीज सबसे ज्यादा देखने को मिलती है, ज्यादातर लोग अक्सर डेजा वू को भविष्य से संबंधित चीज मानते हैं उनका कहना है कि इसके जरिए भविष्य में आगे क्या होने वाला है इसके बारे में हम समझ सकते हैं, वैज्ञानिक मानते हैं कि डेजा वू हमारे दिमाग में इकट्ठा हुई स्मृतियों का नतीजा है, डेजा वू के वक्त हम जिस जगह पर होते हैं उस वक्त हमारा दिमाग हमारे आसपास घटित हो रही सभी यादों को प्रकाशित कर देता है यह सब यादें अलग- अलग जगहों से प्राप्त हुई होती है और हमारे दिमाग में अलग-अलग जगह पर इकट्ठा हुई होती है।

 तभी अचानक इन पुरानी इकट्ठा हुई यादों की वजह से हमें वह घटनाएं दिखाई देती है, तब हमें उस जगह पर देखी हुई हर चीज पहले कहीं देखी हुई लगती है, कुछ लोग यह मानते हैं कि यह पिछले जन्म में हुई घटनाओं का नतीजा है जो हमें इस जन्म में महसूस हो रही है, कुछ लोग इसे भगवान से संबंधित अनुभव मानते हैं उनका मानना है कि भगवान कुछ घटनाओं का उनके होने से पहले ही खुलासा कर देते हैं, लेकिन आज तक डेजा वू क्यों होता है इसका कोई सटीक कारण पता नहीं चला है और यह आज भी एक रहस्य ही है।

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इस जैसे अनुभव से डरने की जरूरत नहीं है यह एक आम घटना है जो की ज्यादातर लोगों को महसूस होती है, वैज्ञानिक अभी भी इस पर खोज कर रहे हैं और इसका पक्का कारण ढूंढ रहे हैं, वह पता लगा रहे हैं कि हमारे दिमाग में ऐसी कौन सी प्रोसेस होती है कि जिससे डेजा वू घटित होता है।

 उनका मानना है कि आने वाले कुछ ही सालों में इसका ठोस कारण भी ढूंढ लिया जाएगा इसलिए अगर आपको भी डेजा वू महसूस होता है तो यह मत सोचिए कि आप अकेले ही इसे महसूस करते हैं।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने के लिए धन्यवाद।।

Parallel Universe या समानांतर ब्रह्माण्ड क्या है ?

हैल्लो दोस्तों, आपका स्वागत है एक बार फिर Av Hindi Creator में, आज हम बात करने वाले है बहुत ही ज्यादा रोचक टॉपिक पर, आज मै आपको बताने वाला हु समानांतर ब्रह्माण्ड के बारे में, तो पढ़ते रहिए इस पोस्ट को आखरी तक ओर बने रहिए हमारे साथ, अब ज्यादा समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए शुरू करते है:-

  ◆ क्या होता है Parallel Universe समानांतर ब्रह्माण्ड ? ◆




समानांतर ब्रह्मांड का सिद्धांत हमें यह कहता है की ब्रह्मांड एक नहीं है, बल्कि अंतरिक्ष में बहुत सारे ब्रह्मांड है इस कारण हम ऐसी जगह पर रहते हैं जहां पर बहुत सारे ब्रह्मांड है।

ओर हमारा ब्रह्मांड भी उसका एक हिस्सा है, जो सिद्धांत में आपके सामने पेश करने जा रहा हूं उन्हें समझने में आपको थोड़ी दिक्कत हो सकती है इसीलिए आप इस पोस्ट को पूरी एकाग्रता से पढ़ें, पूरा पोस्ट पढ़ने के बाद ही आपको समझ में आएगा कि आखिर यह समानांतर ब्रह्मांड क्या है।

 समानांतर ब्रह्मांड की बात करने से पहले हम यह समझ लेते हैं कि इस दुनिया में सब कुछ जुड़ा हुआ कैसे हैं?, इस ब्रम्हांड की शुरूआत के समय सिर्फ अंधेरा था उस समय एक भी पार्टिकल नहीं था और ब्रह्मांड के शुरुआत के पहले समय भी नहीं था, पहले कुछ भी नहीं था। फिर के एक बिंदु से बहुत बड़ा धमाका हुआ और हमारा ब्रह्मांड बन गया और उसी धमाके के चलते आज भी हमारा ब्रह्मांड बड़ी तेजी से फैल रहा है जिसे हम फैलता हुआ ब्रह्मांड कहते हैं।

 जब यह ब्रह्मांड नया था तब कुछ ही एटम्स बने थे, सोचिए कि आप उस समय एक गेंद को बल के साथ फेंकते हो और मान लीजिए कि उस समय कुछ ही एटम्स बने थे जो की बस एक गेंद को बना सकते हैं, और कुछ भी नहीं था तो आप उस गेंद को बलपूर्वक फेंकते हो, तो गणितीय कैलकुलेशन से यह पता कर सकते हो कि वह गेंद किस समय कहां जाएगी, मतलब आप उसकी भविष्यवाणी कर सकते हो क्योंकि कोई और पार्टिकल तो है ही नहीं।

 यह करना तब आसान था जब कुछ ही एटम्स बने थे, पर मान लीजिए कि आज के समय में जितने भी अरबों खरबों एटम्स है उन सबकी पोजीशन आपको पता चल जाए तो आप क्या-क्या कर सकते हो, आप इस ब्रम्हांड की हर एक चीज की एकदम सटीक भविष्यवाणी कर सकते हो क्योंकि आपके पास सारे एटम्स की पोजीशन की सूचना है और इससे आप पूरे ब्रह्मांड की एकदम सटीक भविष्यवाणी भी कर सकते हो और इसके भूतकाल को भी जान सकते हो क्योंकि सब कुछ एक दूसरे से जुड़ा हुआ है।

 इसका मतलब यह है कि जब ब्रह्मांड की शुरुआत में एटम्स बनी थी तब ही यह सब तय हो गया था कि आगे क्या होने वाला है और उसी समय यह भी तय हो गया था की करोड़ों साल बाद क्या होने वाला है, बस उस समय कोई इंसान मौजूद नहीं था, नहीं तो अगर कोई मौजूद होता तो वह शुरुआत के कुछ एटम्स की पोजीशन को पता कर लेता और अरबो साल बाद क्या होने वाला है यह भी पता कर लेता, आपके दिमाग में अभी क्या विचार चल रहा है यह भी ब्रम्हांड की शुरूआत से ही तय था।

आपको लगता है कि आप अभी जो कर रहे हो यह आप कर रहे हो, पर यह जान लीजिए कि अभी जो आप इस वक्त सोच रहे हो वह तभी तय हो गया था जब ब्रह्मांड का वह पहला एटम बना था, इंटरनेट पर आपने मेरे इस पोस्ट को पढ़ा यह भी तब ही तय हो गया था जब यह ब्रह्मांड बना था क्योंकि अभी जो हो रहा है वह क्यों हो रहा है? इसकी गहराई में अगर हम जाए तो सब जाकर आखिर में ब्रह्मांड की शुरुआत में ही अटक जाता है।

 हर एक चीज इस ब्रह्मांड में मौजूद दूसरी चीज से जुड़ी हुई है और वह दोनों एक दूसरे पर असर डालती है, अगर मैंने यह पोस्ट नहीं लिखी होती तो आप अभी कुछ और ही कर रहे होते, अगर ब्लॉगर नाम की साइट को गूगल ने नहीं बनाया होता तो आप आज मेरा यह ब्लॉग नहीं पढ़ रहे होते, और अगर मैं पैदा ही नहीं हुआ होता तो आप आज इस पोस्ट को नहीं पढ़ सकते थे।

 आप इस समय में कुछ और ही कर रहे होते, अब अगर मेरे पिता ही नहीं होते तो मैं भी नहीं होता और अगर मैं नहीं होता तो Av Hindi Blogger नाम का कोई ब्लॉग नहीं होता और अगर यह नहीं होता तो आज आप यह पोस्ट को नहीं पढ़ रहे होते, तो मतलब देखिए अब आप ही देख सकते हैं की सब कुछ एक दूसरे से कैसे जुड़ा हुआ है इसमें कई सालों पहले की घटना आज को प्रभावित कर रही है।

जो लोग जियो की SIM का प्रयोग कर रहे हैं अगर मुकेश अंबानी जी ने यह SIM लॉन्च नहीं की होती तो आप मेरा यह पोस्ट नहीं पढ़ रहे होते कुछ और ही कर रहे होते, तो मतलब मुकेश अंबानी जी के फैसले ने आपके इस काम को तय किया इसी तरह इस दुनिया में हर काम दूसरे काम को प्रभावित करता है और शायद इसीलिए लोग कहते हैं कि आप किसी का भला करोगे तो आप का भी भला होगा और मेरे हिसाब से यह बात भी बिल्कुल सही है।

 चलिए अब हम फिर से पीछे जाते हैं जहां से ब्रह्मांड बना था, पर ब्रह्मांड के पहले क्या था? यह तो कोई भी नहीं जानता और ना ही जान सकता है क्योंकि यह इंसानी दिमाग के परे है, हम लोगों ने तो सब कुछ जुड़ा हुआ है इसको तो जान लिया तो अब हम आते हैं समानांतर ब्रह्मांड पर।

  मेनी इंटरैक्टिव वर्ल्ड थ्योरी के अनुसार हमारा ब्रह्मांड बहुत सारे ब्रह्मांडो में से एक है जो कि एक साथ ही रहते हैं एक ही समय में, समानांतर ब्रह्मांड वह ब्रह्मांड है जो हमारे ब्रह्मांड के साथ ही इसी समय में रहता है पर वह दूसरा ब्रह्मांड हमारे ब्रह्मांड को नहीं देख सकता और ना ही हम उस दूसरे ब्रह्मांड को देख सकते हैं, क्योंकि दोनों अलग-अलग डायमेंशन में रहते हैं जैसे कि आप इस ब्रम्हांड में इस समय मेरी इस पोस्ट को पढ़ रहे हो इसके समानांतर एक ब्रह्मांड है जिसमें आप कुछ और काम कर रहे होंगे, किसी और ब्रह्मांड में शायद आप अपनी कार में घूम रहे होंगे, और किसी दूसरे ब्रह्मांड में आप चाय पी रहे होंगे।

और भी अलग-अलग ब्रह्मांड में आप अलग-अलग काम कर रहे होंगे और इसकी पॉसिबिलिटी कभी खत्म नहीं होगी, मतलब सारे ब्रह्मांड एक ही समय में काम कर रहे हैं, समानांतर ब्रह्मांड में क्या-क्या हो सकता है यह आपके इमैजिनेशन से रिलेटेड है, मतलब कि आप जो जो सोच सकते हो उसके अलग-अलग ब्रह्मांड है, जैसे कि आप किसी एक ब्रह्मांड में सुपरस्टार हो और दूसरे ब्रह्मांड में एक गरीब इंसान, अब अगर सिद्धांतों की माने तो समानांतर ब्रह्मांड हमारे ब्रह्मांड से बहुत ही ज्यादा अलग है और समानांतर ब्रह्मांड मतलब आप यह मत समझिए कि बस एक ही ब्रह्मांड है मैंने यहां बहुत सारे ब्रह्मांड की बात की है और हमारा ब्रह्मांड भी इनमें से एक है।

अब मैंने ऊपर जो सिद्धांत बताया था की सब कुछ एक दूसरे से जुड़ा हुआ है वह बस एक ब्रह्मांड में ही काम करता है दूसरे के साथ नहीं, इसीलिए हम शायद यह कभी नहीं जान पाएंगे की समानांतर ब्रह्मांड होता है या नहीं?
यह बात तो सही है कि हम सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं लेकिन समानांतर ब्रह्मांड की बात एक रहस्य है।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने के लिए धन्यवाद।।

चाँद क्या है और क्यो है ?

नमस्कार दोस्तो, एक बार फिर स्वागत है आपका Av Hindi Creator में, आज हम एक रोचक टॉपिक पर बात करने वाले है, जिसमे हम जानेगे चाँद की कुछ रोचक बातें, तो अब ज्यादा समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए शुरू करते है:-

      चाँद क्या है और क्यो है ? What is Moon & Why



चांद बहुत खूबसूरत है और यह धरती की शुरुआत से लेकर अभी तक हमारी धरती के साथ बना रहा है, चांद पर ही नजर रखते हुए हम लोगों ने कैलेंडर को बनाया और चांद को लेकर कई कहानियां भी बनाई गई, इसे देखकर भेड़िए आवाज निकालते हैं और यह रात के अंधेरे में हमें एक ठंडा प्रकाश प्रदान करता है, इसी के चलते हमारे सौरमंडल में पृथ्वी एक बैलेंस में रहती है अगर चांद नहीं होता तो अब तक हम लोग भी जिंदा नहीं रहते, चांद हमारी धरती के करीब तो है पर चांद से जुड़ी आज भी ऐसी कई चीजें हैं जो हम नहीं जानते।

हम चांद के बारे में पहले कुछ नहीं जानते थे पर अपोलो-11 एक पहला मिशन था जिसके चलते इंसान ने पहली बार चांद पर कदम रखा था और ऐसी कई थ्योरी यानी कि सिद्धांत निकाले गए जो चांद के कई रहस्यों को परिभाषित करने की कोशिश करते हैं, नवंबर 1969 में नासा के अपोलो मिशन में उन अंतरिक्ष यात्रियों ने चांद के ऊपर एक सैटेलाइट को जानबूझकर टकराकर कुछ क्षेत्र तक एक गड्ढा बनाने की कोशिश की थी, जब उस सैटेलाइट और चांद का मिलन हुआ और वह गड्ढा बना तब बिल्कुल एक घण्टे की तरह चांद का सतह कई दिनों तक कंपन करता रहा, आप ऐसा मान लो कि कोई सैटेलाइट एक ऐसी चीज से टकराई हो जो की अंदर से खोखली हो बिल्कुल एक बेल्ल यानी कि घण्टे के जैसे, अगर चांद एक सामान्य कठोर बॉडी होती तो ऐसा कभी नहीं होता, इस चीज को देखकर वैज्ञानिक पूरी तरह से चौक गए थे क्योंकि इससे यह पता चलता है कि चांद अंदर से पूरी तरह खोखला है उन्होंने सोचा कि कुछ तो गड़बड़ है।

 हमने आज तक चांद के बारे में जो भी माना है वह शायद गलत हो, चांद के बारे में कई सामान्य सी चीजें हैं जो कि हम नहीं जानते और आज तक हम लोग इसे समझने में असमर्थ रहे हैं, चांद के खोखले होने वाली बात तो आप लोगों ने जान ली, पर वर्षों गुजर गए पर चांद आखिर बना कैसे ? इसे आज तक कोई भी वैज्ञानिक पूरी तरह से परिभाषित नहीं कर सका है कुछ वैज्ञानिक कहते हैं की एक बड़ा सा उल्कापिंड जब धरती से टकराया तब धरती से कुछ हिस्सा टूटकर अलग हो गया और वह चांद बन गया, पर इस सिद्धांत में मुश्किल यह है कि चांद और धरती में चांद की सतह और उसके अंदर का भाग धरती से बहुत ज्यादा अलग है और कई वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि कोई गोल उल्का पिंड अंतरिक्ष में धरती के करीब से गुजर रहा था तभी धरती ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और तब से वह धरती के चारों ओर चक्कर काटने लगा।

पर चांद धरती से सिर्फ 4 गुना ही छोटा है और अगर हम चांद के विज्ञान को देखते हुए बात करें तो प्रेक्टिकली यह असंभव है कि किसी गुजरते हुए उल्कापिंड को धरती अपनी तरफ खींच ले और वैसे भी चांद किसी भी प्रकार के उल्कापिंड से बहुत ज्यादा बड़ा है, वैज्ञानिक दृष्टि से किसी उल्कापिंड को तो धरती अपनी तरफ खींच लेती है पर चांद को नहीं खींच सकती है इसीलिए वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि चांद की प्राकृतिक सैटेलाइट वाली बात गलत है मतलब कि चांद को किसी दूसरे ग्रह के बुद्धिमान जीवो ने बनाया है, चांद पर जितने भी बार मिशन हुए हैं उन सब में हमें इसके बारे में बहुत कम जानने को मिला है चांद का गुरुत्वाकर्षण बल भी एक बहुत अजीब तरह से काम करता है इसके गुरुत्वाकर्षण बल को समझने के लिए कई मिशंस किए गए पर आज तक किसी को भी इसकी पूरी सच्चाई पता नहीं चल सकी।

चांद का आकार भी एक बहुत बड़ा रहस्य है, किसी भी ग्रह का उपग्रह तो आकार में उस ग्रह से छोटा होता है यह बात तो सही है पर चांद को धरती के हिसाब से बहुत छोटा होना चाहिए था मतलब की चांद जो है वह धरती के मुकाबले ज्यादा छोटा नहीं है चांद धरती का 1/4 है यानी कि पूरी धरती में चार चांद समा सकते हैं पर अगर आप बाकी ग्रहों से इसकी तुलना करो तो जैसे कि हम जुपिटर को ही ले लेते हैं उसके बहुत सारे उपग्रह हैं पर उसके सारे उपग्रह उसके आकर के 1/88 से भी कम है यानी कि जुपिटर का चांद जुपिटर से अट्ठासी गुना ज्यादा छोटा है एक जुपिटर में अट्ठासी चांद समा जाएंगे मतलब उसका चांद बहुत ज्यादा छोटा है और वैज्ञानिकली होना भी चाहिए, पर अब देखा जाए तो धरती का चांद बाकी सब से कुछ ज्यादा ही बड़ा है धरती के आकार के इसके आसपास के जो ग्रह हैं जैसे कि मरक्यूरी आदि इनके तो कोई चांद ही नहीं है पर आप धरती को देखो और उसके चांद को देखो जो धरती से सिर्फ चार ही गुना छोटा है यही इसे बहुत बड़ा रहस्य बनाता है मतलब कि चांद का आकार और भी ज्यादा छोटा होना चाहिए था नहीं तो यह होना ही नहीं चाहिए था।

नासा के एक वैज्ञानिक रोबिन ब्रेट ने कहा था की चांद के होने से ज्यादा चांद के नहीं होने को समझाना ज्यादा आसान है और इन्हीं सब चीजों के चलते वैज्ञानिकों का शक और भी ज्यादा बढ़ जाता है की चांद किसी और के द्वारा जैसे कि एलियन के द्वारा बनाया गया तो नहीं है, चांद का धरती के चक्कर काटना भी एक बहुत बड़ा रहस्य है चांद धरती के चारों तरफ एकदम परफेक्ट तरीके से गोलाकार आकृति में चक्कर लगाता है पर हमारे सौरमंडल में जितने भी उपग्रह किसी ग्रह का चक्कर लगा रहे हैं वह इसकी तरह इतना परफेक्ट तरीके से चक्कर नहीं लगाते और चांद धरती को बहुत हद तक नियंत्रण भी करता है, यह धरती के घूमने को जैसा होना चाहिए वैसा ही रखता है अगर चांद नहीं होता तो हमारे धरती का जो एक्सिस है वह और भी ज्यादा झुक जाता और जिस कारण सूरज का प्रकाश सीधा धरती के उत्तर और दक्षिण हिस्से पर पड़ता और इसके चलते धरती पर आज जो मौसम बना रहता है वह पूरी तरह से बदल जाता।

यह अजीब इसलिए है क्योंकि चांद जिस हद तक धरती को नियंत्रित करता है वह कुछ ज्यादा ही है, चांद का होना? , चांद का आकार ?, चांद कैसे बना ?, चांद धरती के चारों ओर पर्फेक्ट सर्कुलर ऑर्बिट में कैसे घूमता है ?, चांद धरती को इतनी हद तक नियंत्रित कैसे कर लेता है ?, इन सब प्रश्नों का उत्तर विज्ञान को अब तक नहीं मिला है और इन सब प्रश्नों के उत्तर नहीं होने के चलते कई वैज्ञानिक भी यह मानने लगे हैं कि चांद को दूसरे ग्रहों के जंतुओं ने बनाया है, कई विचारको का तो यह भी मानना है कि धरती पर जीवन को संभव करने के लिए एलियंस ने चांद को बनाया और वह इसे बनाकर अपने सौरमंडल में वापस चले गए और वह बीच-बीच में अपने इस निर्माण को देखने आते रहते हैं।

 अपने अपोलो मिशन में नील आर्मस्ट्रांग और उनके क्रू मेंबर्स ने कई अंतरिक्ष यानों को देखा था उन्होंने खुद कहा था की उनके अंतरिक्ष यान का वह लोग पीछा कर रहे थे कोई उनका पीछा कर रहा था और कई लोगों का यह मानना है कि नासा ने इस घटना को गहराई से नहीं बताया है, जब वह चांद पर उतर रहे थे तब 2 मिनट के लिए उनका कनेक्शन धरती पर मौजूद कंट्रोल रूम से टूट गया था, बीच-बीच में सिग्नल गायब हो रहे थे और कोई दूसरे सिग्नल आ रहे थे।

इसरो और नासा और भी कई चांद पर जाने के मिशंस को अंजाम दे रहे हैं और शायद वह भविष्य में इन सवालों के जवाब खोज ले।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने के लिए धन्यवाद।।

गुरुवार, 15 मार्च 2018

ब्लैक होल क्या होता है ?

नमस्कार दोस्तो, आपका एक बार फिर स्वागत है Av Hindi Creator में, आज हम बात करने जा रहे है बहोत ही रोचक टॉपिक के बारे में, आज में आपको बताने वाला हूं कि ब्लैक होल होता क्या है ?और अगर हम इसमे गिर जाए तो क्या होगा ? साथ ही ओर भी बहोत कुछ, तो समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।

तो चलिए शुरू करते है:-





1.क्या होता है ब्लैक होल ? :-

बिना झिझक के हम कह सकते हैं कि ब्लैक होल्स इस ब्रम्हांड के सबसे अजीब जगहों में से एक है ब्लैक होल्स को अगर हम आसान भाषा में कहें तो यह अंतरिक्ष की एक ऐसी जगह है जहां का गुरुत्वाकर्षण इतना मजबूत होता है कि कोई भी चीज इससे बच नहीं सकती यहां तक कि प्रकाश भी नहीं।

 अब अगर मैं गणितीय तौर पर बात करूं तो कोई भी चीज ब्लैक होल बन सकती है किसी भी चीज का घनत्व जितना ज्यादा रहेगा तो उसका गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी उतनी ही ज्यादा होगी, देखिए ब्लैक होल का घनत्व बहुत ज्यादा होता है इसके चलते उसका गुरुत्वाकर्षण बल भी इतना ज्यादा होता है कि वह प्रकाश को भी अपनी तरफ खींच लेता है और प्रकाश इस ब्रम्हांड में सबसे उच्चतम गति से सफ़र करता है, तो अगर प्रकाश इस ब्लैक होल से बचकर नहीं निकल पाता तो इसके गुरुत्वाकर्षण बल से बाकी चीजें कैसे बच सकती है।

अब किसी भी पदार्थ को ब्लैक होल बनाना तभी मुमकिन है जब अगर हम किसी भी पदार्थ को बहुत मतलब की बहुत ही ज्यादा कंप्रेस्ड कर दे मतलब कि उसे दबाकर छोटा कर दे, उदाहरण के तौर पर अगर हम हिमालय को दबाकर एक नैनो साइज में कर दे तो तब वह है एक ब्लैक होल बन जाएगा, एक और उदाहरण के तौर पर समझे तो अगर हम हमारी पृथ्वी को दबाकर एक मटर के दाने जितना कर दे तो वह भी एक ब्लैक होल बन जाएगी।

 पर वैसे भी हमें ऐसी टेक्नोलॉजी को निकालने की जरूरत नहीं, ऐसे बहुत से तारे हैं जिनका आकार पृथ्वी से लाखों-अरबो गुना ज्यादा होता है तो जाहिर सी बात है कि अगर हम उस तारे को दबाकर पृथ्वी जितना कर दे तो वह एक ब्लैक होल बन जाएगा, पर अच्छी बात यह है कि हमें ऐसा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसा ब्रह्मांड में अपने आप हो जाता है।

 जब ब्रह्मांड में किसी तारे की मृत्यु होती है जिसे कि हम सुपरनोवा कहते हैं तो वह तारा खुद ही सिकुड़ने लगता है और उसका घनत्व बढ़ने लगता है, सिकुड़ते सिकुड़ते उस तारे का घनत्व और गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा हो जाता है कि प्रकाश भी अब उससे बच नहीं सकता, वह छोटा सा बिंदु  जहाँ पर वह तारा सिकुड़कर ब्लैक होल बन जाता है उसे हम सिंगुलैरिटी कहते हैं मैं आशा करता हूं कि आपने सिंगुलैरिटी के बारे में पहले भी सुना होगा।

 ब्लैक होल की वह बाउंड्री जहां से प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता उसे हम इवेंट होराइजन कहते हैं, मतलब इवेंट होराइजन से पहले प्रकाश बचकर जा सकता है पर उसके आगे कभी बचकर नहीं जा सकता है।

अब बात आती है कि आखिर ब्लैक होल्स को हम ब्लैक होल्स क्यों कहते हैं ? तो ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि ब्लैक होल से प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, पर इसका मतलब यह नहीं है कि ब्लैक हॉल में प्रकाश नहीं होता, ब्लैक होल में प्रकाश होता है पर वह प्रकाश आपकी आंखों तक नहीं पहुंच पाता क्योंकि ब्लैक होल से प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता है तो जब वहां से प्रकाश बचकर नहीं निकल पाता तो वह आपकी आंखों तक कैसे पहुंचेगा, और इसीलिए हमें यह काले रंग का दिखता है।

 ब्लैक होल्स समय को भी प्रभावित करते हैं, ब्लैक होल्स का घनत्व इतना ज्यादा होता है कि यह अंतरिक्ष के समय को नष्ट कर देती है, जो ऑब्जेक्ट ब्लैक होल के सामने होता है वह समय को धीरे अनुभव करता है मतलब कि ब्लैक होल के सामने का समय बाकी जगह से धीरे चलता है, मान लीजिए कि आप एक अंतरिक्ष यान में बैठे हैं जो कि ब्लैक होल का चक्कर लगा रहा है और वह इवेंट होराइजन से दूर सुरक्षित जगह पर चक्कर लगा रहा है, उस समय अंतरिक्ष यान के अंदर का समय बाहर के मुकाबले धीरे हो जाएगा और आप समय यात्रा भी कर पाओगे।


2.अगर आप ब्लैक होल में गिर जाओ तो क्या होगा ? :-

क्या आप जानना चाहते हो कि अगर आप ब्लैक होल में गिर जाओ तो क्या होगा ? क्या आप आसानी से उसके अंदर चले जाओगे ? नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा, असल में आपका शरीर एक रबड़ की तरह खींचेगा जब आप उसके अंदर जाओगे।

 मैं आपको बताता हूं कि ऐसा क्यों होगा मान लीजिए कि जब आप ब्लैक होल में गिर रहे हो तो आपका पैर ब्लैक होल की तरफ है, आपके शरीर का वह हिस्सा जो कि ब्लैक होल के नजदीक है मतलब की आपका पैर, अब वह हिस्सा सबसे ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल को अनुभव करेगा उसके मुकाबले जो हिस्सा ब्लैक होल से दूर है जैसे कि आपका सिर और इसीलिए आपका शरीर एक रबड़ की तरह खींच जाएगा।

 आपके शरीर के सारे मॉलिक्यूल्स बिखर जाएंगे और अंत में जाकर आपकी मृत्यु हो जाएगी पर डरिए मत ऐसा कभी होगा नहीं क्योंकि जो सबसे पास का ब्लैक होल है वह हमारे सौरमंडल से हजारों प्रकाश वर्ष दूर है।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने के लिए धन्यवाद।।

क्या होता है मरने के बाद ?

नमस्कार दोस्तो, एक बार फिर स्वागत है आपका , मै Av Hindi Creatorआज एक बार फिर लेकर आया हूँ आपके लिए एक रोचक पोस्ट, जिसमे आज हम बात करेंगे कि आखिर मरने के बाद होता क्या है ?तो अब समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए शुरू करते है:-


 ◆ क्या होता है मरने के बाद ? ◆





मरने के बाद क्या होता है यह दुनिया के सबसे रोचक प्रश्नों में से एक है, हम अपनी उम्र को हरी सब्जियां खाकर और व्यायाम करके बढ़ा तो सकते है पर अमर नहीं हो सकते।

 आज की टेक्नोलॉजी की बात करें तो कभी ना कभी सब की मौत होनी ही है जिसे जीवन मिला है उसकी मौत होनी ही होनी है, तो आखिर मौत के बाद क्या होता है ? मैं हमारे फिजिकल शरीर की बात नहीं कर रहा क्योंकि फिजिकल शरीर तो आखिरकार कभी ना कभी मिट्टी में मिल जाता है, मैं बात कर रहा हूं कि मरने के बाद हमारी आत्मा, सोच, चेतना आदि आखिरकार कहां जाती है ?

 अभी आप जिंदा हो मतलब कि आप अभी महसूस कर पा रहे हो कि आप अभी हो, इसे चेतना कहते हैं। तो सवाल यह है कि क्या मरने के बाद भी आप अपने होने को महसूस करते हो या फिर बिल्कुल शून्य हो जाते हो ?

 आप एक प्रयोग कीजिए जिसमें आप सोचिए कि मरने के बाद कैसा लगता होगा तो आपको ऐसा लगेगा कि आप यह सोच ही नहीं पा रहे हो और आप अपने नहीं होने को सोच ही नहीं सकते, तो इसका मतलब यह है कि आप मरने के बाद भी अपने आप को महसूस कर पाओगे।

 इस दुनिया में 4,200 धर्म है और सब की अपनी अलग-अलग मान्यताएं है कि मरने के बाद क्या होता है। लेकिन असल में सिर्फ एक ही ग्रुप है जो असल में जानती है कि मरने के बाद आखिर में होता क्या है, यहां मैं किसी धर्म की बात नहीं कर रहा, यहां मैं बात कर रहा हूं मरे हुए लोगों के बारे में, तो चलिए मरे हुए लोगों से ही पूछते हैं कि आखिर मरने के बाद क्या होता है।

 अब आप अपने मन में सोच रहे होंगे कि यह तो बिल्कुल पागल वाली बात है साफ-साफ बताना। देखिए दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो कि दावा करते हैं कि वह मर कर भी वापस जिंदा हो चुके हैं, जी हां यह एक दम सच है और आधुनिक भाषा में इसे हम NDE कहते हैं यानी कि नियर डेथ एक्सपीरियंस, आपने भी ऐसी घटना के बारे में कभी ना कभी जरूर सुना होगा और आजकल तो भारत के गाँवो मैं ऐसी घटना सामान्य है।

 पर पूरी दुनिया की जनसंख्या में बहुत ही कम लोगों ने इसे महसूस किया है जिन लोगों को यह महसूस हुआ है उन लोगों में अलग-अलग व्यक्ति अलग-अलग चीजों को महसूस करता है उन लोगों का कहना है कि वह किसी दूसरी दुनिया में चले जाते हैं, एक अलग आयाम में और बहुत अजीब सा महसूस करते हैं और फिर वापस अपने शरीर में आ जाते हैं, तो आखिर वह क्या महसूस करते हैं यही तो हम जानना चाहते हैं क्या वह सच में इस चीज को महसूस करते हैं जो कि इस दुनिया से परे है ?

 2011 में एक इंसान की सर्जरी हो रही थी पर वह सर्जरी फेल हो गई और डॉक्टर्स ने कहा कि वह इंसान मर चुका है मतलब डॉक्टर्स ने उस इंसान को मृत घोषित कर दिया, पर कुछ मिनट बाद मॉनिटर में अपने आप गतिविधि होने लगी और डॉक्टर्स उसे बचाने में कामयाब रहे, जब वह इंसान कुछ मिनट अपने शरीर में नहीं था तब उसकी सांसे रुक गई थी और तब उस इंसान ने कुछ महसूस किया था उस इंसान ने उस कुछ को इस प्रकार परिभाषित किया की:- "वह कुछ नहीं होने को महसूस कर रहे थे, मतलब उन्हें ऐसा तो नहीं लग रहा था कि वह तैर रहे हैं पर वह सिर्फ थे, वह अपने होने को महसूस कर पा रहे थे।"

अब एक दूसरी केस है एक कॉलेज स्टूडेंट की जो नींद की गोलियों के ओवरडोज के कारण गिर पड़ा और फिर पड़ोसियों ने एक एंबुलेंस बुलाई, पर जब एंबुलेंस उसे हॉस्पिटल ले जा रही थी तो उस दौरान उसकी मौत हो गई थी, अब आप इसे चमत्कार कहिए या कुछ और पर 3 मिनट बाद उसे फिर से होश आया और उसने इन 3 मिनटों में क्या महसूस किया इसे उस लड़के ने कुछ इस प्रकार बताया है:- " उसने यह कहा कि वह अपने शरीर से निकल चुका था और वह अपने ही शरीर को उस एंबुलेंस में देख रहा था मतलब उसकी आत्मा उसके शरीर से निकल कर अपने ही शरीर को देख रही थी।" यह बहुत अजीब लगता है पर क्या जो उस लड़के ने महसूस किया था वह उसकी आत्मा थी या फिर दिमाग का कोई भ्रम, इस बात की परीक्षा लेने के लिए जो लोग एंबुलेंस में थे उन्होंने परीक्षा लेने के लिए उस लड़के से पूछा की उस 3 मिनट के अंदर डॉक्टर्स ने एंबुलेंस में क्या-क्या किया ?

पर उस लड़के ने एक-एक शब्द को जो कि डॉक्टर्स बोल रहे थे उसे फिर से बता दिया और उस 3 मिनट के दौरान एंबुलेंस किस मोड से गुजर रही थी उसे सब याद था, इसका मतलब वह जो बोल रहा था वह एक दम सच था और ऐसा हजारों नहीं बल्कि लाखों लोगों ने महसूस किया है और अलग-अलग लोग अलग-अलग चीजों को महसूस करते हैं।

 रिसरचर्स ने उन अनुभवों को एक साथ रखा जो ज्यादातर सबको होता है सबसे सामान्य अनुभव जो होता है वह है एक सुरंग का अनुभव, मतलब लोगों को लगता है कि वह मरने के बाद किसी सुरंग से गुजर रहे हैं और कई लोग अपने ही शरीर को एक दूरी से देखते हैं।

मरने के बाद जो अनुभव होता है वह बहुत ज्यादा अजीब होता है मतलब आप सोच भी नहीं सकते कि वह कैसा अनुभव होता है इसीलिए वह लोग उस अनुभव को शब्दों में बयान नहीं कर पाते, वह उस लकीर को अनुभव करते हैं जो मौत और जिंदगी के बीच होती है पर अब कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें कुछ महसूस नहीं होता मतलब उनके लिए यह दुनिया नहीं होती है पर वह खुद होते हैं मतलब कि कुछ नहीं होने के बावजूद भी वह अपने आप को महसूस कर रहे होते हैं।

अब आप बताइए कि क्या आप समय को छू सकते हो नहीं आप नहीं छू सकते, लेकिन जिन लोगों ने नियर डेथ एक्सपीरियंस किया है उनमें से ज्यादातर लोगों ने कहा है कि उस समय वह समय को देख सकते हैं मतलब की वह समय को एक फिजिकल ऑब्जेक्ट की तरह देख पाते हैं, मैं जानता हूं कि आपको यह बातें थोड़ी नहीं बल्की बहुत ज्यादा अजीब लग रही होगी, पर सच्चाई यही है।

 तो अंत में हमें पता चलता है कि हमारा शरीर तो मर जाता है लेकिन हमारी आत्मा नहीं मरती, हमारी मैं वाली फीलिंग कभी नहीं मरती और या फिर हमारा पूर्व जन्म होता है जिसके बारे में मैंने एक और  पोस्ट लिखी  है और उसका लिंक नीचे दिया गया है तो अब आप ही कमेंट करके बताइए कि इस बात में कितनी सच्चाई है।

क्या पुर्नजन्म सम्भव है ?

आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने के लिए धन्यवाद।।

क्या पुर्नजन्म सम्भव है ?

हैल्लो दोस्तो, एक बार फिर स्वागत है आपका, मै Av Hindi Creator आज आपके लिए लेकर आया हूँ एक ओर रोचक पोस्ट, जिसमे आज हम बात करेंगे कि आखिर पुर्नजन्म सम्भव है या नही, तो ज्यादा समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए शुरू करते है:-



         ◆ क्या पुर्नजन्म सम्भव है ? ◆



पुर्नजन्म इस टॉपिक के बारे में तो आप जरूर जानना चाहते होंगे क्योंकि यह एक क्यूरियोसिटी से भरा हुआ टॉपिक है, जो लोग विज्ञान पर मजबूती से विश्वास करते हैं वह लोग मुझे कहेंगे कि बकवास मत कर।

 पर मैं भी आपको यह कहना चाहता हूं कि मैं भी विज्ञान को मजबूती से मानता हूं क्योंकि आखिरकार मैं भी एक मेडिकल स्टूडेंट हूं, पर जो यह रहस्यमई चीजें हैं जैसे कि पुर्नजन्म ऐसी चीजें साइंस के भी परे है इसका उत्तर सिर्फ आध्यात्मिक दुनिया में है, यह इसी तरह का सवाल है कि मैं आपसे पूछूं कि इस ब्रह्मांड के बाहर क्या है तो आप लोग बोलोगे कि जो है वह है, होगा कुछ ब्रह्मांड के बाहर।

 पर देखा जाए तो जो ब्रह्मांड के बाहर है वह भी तो ब्रह्मांड के अंदर ही आता है तभी तो आप उसे सोच पा रहे हो, उसे इमेजिंग कर पा रहे हो, अब ऐसे सवाल विज्ञान को नॉनसेंस लगेंगे, पर मुझे विश्वास है कि जो लोग रहस्य पर विश्वास करते हैं वह इस चीज को जरुर समझेंगे।

 विज्ञान एक सीमित दायरे में है लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसी भी चीजें है जो असीमित है और विज्ञान के परे है, हम सभी को कभी ना कभी मरना ही है और मरने के बाद क्या होता है उन बातों को मैंने दूसरे पोस्ट में बता दिया है जिसका लिंक इस पोस्ट के अंत में दिया गया है और अगर आपने उस पोस्ट को नहीं पढ़ा तो इस पोस्ट को पढ़ने के बाद पढ़ लीजिएगा।

 पर मरने के बाद जो पुर्नजन्म वाली बात है वह काफी आकर्षक है इसके बारे में जो आपको मैं रोचक बातें बताने वाला हूं उन पर यकीन करना या नहीं करना आपके ऊपर है, पुर्नजन्म  का मतलब है आपकी आत्मा का एक शरीर से दूसरे शरीर में जाना।

 पूर्व जन्म कई धर्मों में माना जाता है सामान्य यह धर्म कहते हैं कि आप मरने के बाद किसी और शरीर में चले जाते हैं, जो लोग कर्म पर विश्वास करते हैं उन लोगों का मानना है कि अगर आप इस जन्म में अच्छे काम करते हो तो आपको अगला जन्म इंसान के रूप में मिलता है, यह भी होता है कि आप अगले जन्म में किसी जानवर के रूप में जन्म ले।

एनिमल रीनक्रिनेशन थ्योरी यह कहती है कि जब आप मरते हो तब आपके शरीर की आत्मा और ऊर्जा निकल जाती है और यह आपका शरीर छोड़कर किसी दूसरे जानवर के रूप में जन्म लेती है, इस थ्योरी के अनुसार अगर आपने किसी जानवर के रूप में जन्म ले लिया तो फिर आपको पिछले वाली इंसानी जिंदगी याद नहीं रहेगी।

 भारत और भारत के पड़ोसी देशों के कई लोग इस बात को मानते हैं, बौद्ध धर्म यह कहता है कि वह आत्मा जो पिछले जन्म में बुरे काम करती थी उसे उसी बुरे कर्म के चलते किसी जानवर के रूप में जन्म लेना पड़ता है और जैसे कि हमें पता है की जानवर की बुद्धि इंसान की बुद्धि से कम होती है और जिस तरह कोई इंसान अपने दिमाग को कई दूसरे कामो में लगा सकता है उस तरह जानवर नहीं लगा सकते इसलिए बुरे कर्म करने वालों को यही सजा मिलती है।

बौद्ध धर्म में यह भी माना जाता है कि वह आत्मा जानवर के रूप में जन्म लेती रहती है जब तक तब तक उसके बुरे कर्मों का फल उसे ना मिल जाए, मतलब कि उस आत्मा को इतना दर्द सहना पड़ेगा जितना कि उसने अपने पिछले जन्म में बुरे काम किये थे इसीलिए कई जन्मों के बाद जाकर उस आत्मा को इंसान का जन्म मिलता है।

 आध्यात्मिक दुनिया के अनुसार जो जानवर अभी इस पृथ्वी पर मौजूद है वह हजारों सालों पहले इंसान के रुप में यहां मौजूद थे, देजा वू और पुर्नजन्म का आपस में गहरा संबंध है, जो लोग देजा वू के बारे में पहली बार सुन रहे हैं तो उन लोगों को मैं बता दु की देजा वू का मतलब होता है की आपको ऐसा महसूस होता है जो आपके साथ हो रहा है वह पहले भी कभी आपके साथ हो चुका है।

 विज्ञान भी आज तक देजा वू को अच्छे से समझा नहीं पाई है इसमें आपके पिछले जन्म की यादों के कारण ऐसा होता है, मतलब आपके पिछले जन्म की यादें इस जन्म में दिखती है तब आपको वैसा महसूस होता है और आपको भी ऐसा कभी ना कभी जरूर महसूस हुआ होगा

 यह अनुभव तो हम सब को होता है पर इस दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो यह मानते हैं कि उन्हें उनके पिछले जन्म की बातें अच्छी तरह से याद है, रशिया की एक महिला जिनका नाम है तेती वेलो वह यह दावा करती है कि पुर्नजन्म एक दम सच है और अपने आप को इस बात का सबूत भी कहती है क्योंकि वह यह कहती है कि उनको बचपन से ही 120 भाषाएं पता थी क्योंकि उन्होंने अपने पिछले जन्म में सीखा था, सिर्फ यही नहीं दुनिया में कई ऐसे बड़े-बड़े सेलेब्रिटीज भी है जो कि यह मानते हैं कि उन्हें अपना पिछला जन्म पूरी तरह से याद है।

मरने के बाद जो सबसे बड़ी मान्यता है वह है स्वर्ग और नरक की,  इस थ्योरी में यह कहा जाता है कि अगले जन्म के पहले हमें स्वर्ग या नरक में जाना पड़ता है, मान्यता यह है कि हम सभी के अंदर आत्मा है मरने के बाद यह जो आत्मा है उसके पास दो ही रास्ते होते हैं पहला स्वर्ग और दूसरा नर्क और उस आत्मा को कहां जाना है यह उसकी जिंदगी के कर्मों पर निर्भर करता है।

ऐसा हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि अगर तुम भगवान पर विश्वास करोगे और अच्छे काम करोगे तो स्वर्ग मिलेगा और अगर बुरे कर्म करोगे तो नरक मिलेगा, नर्क को एक ऐसी जगह मानी जाती है जहां पर आत्माओं को अपने बुरे कर्मों की सजा मिलती है और उसके उल्टा जो स्वर्ग है उसे एक जादुई जगह कही जाती है जो कि प्यार से भरी होती है और जो अपने जीवन में अच्छे काम करता है उसे यह जगह मिलती है, इस जगह पर दुनिया की और भी अच्छी आत्माएं रहती है।

 आप में से कई लोगों को यह काफी अजीब लग रहा होगा पर यही है आध्यात्मिक ज्ञान,
पुर्नजन्म की बात तो आपको पता चल गई पर अगर मौत को हम विज्ञान के नजरिए से देखें तो बड़ी ही रोचक थ्योरी प्रकट हो रही है और यह थ्योरी अगले जन्म की थ्योरी को मार देती है, अभी जो मैं आपको बताने जा रहा हूं उसे पूरा ध्यान से पढ़ना तभी आपको यह समझ में आएगा।

 यह थ्योरी यह कहती है की मौत सिर्फ एक छलावा है, मतलब मौत नाम की कोई चीज होती ही नहीं है, अब आप अपने दिमाग को थोड़ा खोलो और पढ़ो, अमेरिकी प्रोफेसर रॉबर्ट लेन्जा का यह मानना है की मृत्यु सिर्फ हमारे सचेत अनुभव के अंदर आता है, मृत्यु सिर्फ हमारे जिंदगी का एक छोटा सा हिस्सा है और इस बात को साबित करने के लिए यह रिसरचर्स क्वांटम फिजिक्स और बायोसेंट्रिसम को आधार मानते है।

 अब आप में से अधिकतर लोग सोच रहे होंगे कि अब यह क्या चीज होती है तो, मैं इसे आसान भाषा में समझाऊं तो यह दोनों इस बात को परिभाषित करती है कि ब्रह्मांड तभी रहता है जब हम रहते हैं, मतलब कि यह ब्रह्मांड है इसीलिए आप हो यह बात गलत है बल्कि आप हो इसीलिए यह ब्रह्मांड है, जरा गहराई से सोचिए इन बातों को।

 उन रिसरचर्स का यह कहना है की अंतरिक्ष और समय सिर्फ हमारे दिमाग ने बनाया है सही में तो कुछ नहीं है क्योंकि यह दुनिया तब खत्म हो जाती है जब हमारी आत्मा इस दुनिया को छोड़ कर चली जाती है क्योंकि उस समय हमारा दिमाग मर चुका होता है अब इसमें क्या सच है और क्या झूठ है यह तो कोई नहीं बता सकता क्योंकि यह चीजें इंसानी दिमाग के परे है।

क्या होता है मरने के बाद ?

तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने के लिए धन्यवाद।।


बुधवार, 14 मार्च 2018

टेलीपोर्टेशन क्या है और क्या यह सम्भव है ?

नमस्कार दोस्तों, आप का एक बार फिर स्वागत है, मै Av Hindi Creator आज आपके लिए लेकर आया हूँ  एक  बेहद रोचक और आकर्षक पोस्ट, जिसमे आज हम बात करेंगे टेलीपोर्टेशन के बारे में ओर पता करंगे की क्या यह सम्भव है, तो बिना समय को नष्ट करते हुए शुरू करते है।

तो चलिए शुरू करते है:-



क्या है टेलीपोर्टेशन और क्या यह सम्भव है ? What is the Teleportation ?

अगर आप बिना सफर किए एक जगह से दूसरी जगह चले जाए तो इसे टेलीपोर्टेशन कहते है, पहले आपको लगेगा कि क्या यह सम्भव भी है ? तो जान लीजिए कि यह बिल्कुल सम्भव है।

अब आप मान लीजिए की आप अपने घर से अपने किसी रिश्तेदार के घर पर जाना चाहते हो जो कि आपके घर से 20k.m. दूर है तो अब आपके घर से आपके रिस्तेदार के घर तक जाने के दो तरीके है, पहला तो यह कि आप किसी कार, बाइक, पैदल ओर या फिर किसी ओर चीज़ की मदद से सफर कर के जाओग, अब दूसरा तरीका है टेलीपोर्टेशन, इसके जरिए आप एक जगहे से दूसरी जगह बिना सफर किए हुए जा सकते हो।

आपने बहुत सारी साइंस फिक्शन फिल्मो के पात्रों को देखा होगा जो एक जगह से दूसरी जगह टेलीपोर्टेशन के जरिए जाते है, लेकिन यह चीज़ अभी तक रियल लाइफ में प्रेक्टली प्रूव्ड नही हुई हैं।
मान लीजिए कि मै आपको धरती से मंगल ग्रह पर टेलीपोर्ट करना चाहता हूँ, तो टेलीपोर्टेशन साइंस यह कहती है कि इसके लिए मुझे आपके शरीर के सारे एटम्स को अलग-अलग करना पड़ेगा, यानी कि उन्हें DEMATERIALIZE करना होगा ओर फिर उसके बाद मंगल ग्रह पर फिर से उन एटम्स को REMATERIALIZE करना पड़ेगा, पर उसके पहले आपको यह जानना चाहिए कि QUANTUM ENTANGLEMENT के अनुसार ब्रम्हांड की कोई भी दो पार्टिकल आपस मे इंटर लिंक होती है मतलब की वह आपस मे जुड़ी हुई होती है।

अगर किसी जगह किसी एक पार्टिकल की सरंचना को बदले तो वह हजारो लाखो किलोमीटर दूर किसी दूसरे पार्टिकल को भी अफेक्ट करेगी एक दम उसी समय, इसका मतलब बिना सफर किए हम एक जगह से दूसरी जगह जा सकते है, विज्ञान की दुनिया मे ऐसे बहोत सारे प्रयोग किए गए है जहाँ सही में टेलीपोर्टेशन के प्रयोगों को प्रूव्ड किया गया है।
बहोत सारी साइंस लैब्स में कम दूरी तक फोटोन्स को टेलीपोर्ट किया गया है।

फोटोन्स सामान्य वह पार्टिकल है जिस से प्रकाश बना है,  बहुत सारे लैब्स में 15 किलोमीटर तक फोटोन्स को टेलीपोर्ट किया गया है बिना किसी एक्चुअल ट्रेवल के, 2012 में ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड कायम किया जब इन पार्टिकल्स को उन वेज्ञानिको ने 143 किलोमीटर तक टेलीपोर्ट किया था।

पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि चलो हमने प्रकाश के कणों को तो टेलीपोर्ट कर दिया, पर किसी इंसान को टेलीपोर्ट करना सम्भव है? तो जैसा कि मैने पहले बताया कि इसको करने का तरीका यह है कि मै किसी भी तरह आपके शरीर के अरबो एटम्स को DEMATERIALIZE कर दूंगा ओर फिर जिस जगह टेलीपोर्ट करना है वहाँ फिर से REMATERIALIZE कर दूंगा, मान लीजिए कि मैं आपको धरती से मंगल ग्रह पर भेज रहा हूँ इसलिए मैं धरती पर आपको करोड़ो टुकड़ो में बाँट दूंगा ओर इस शरीर की सूचना को ENTANGLEMENT के जरिए टेलीपोर्ट कर दूंगा ओर मंगल ग्रह पर ये सारी सूचना इखट्टा होगी और आपका शरीर वहा पर जुड़ जायेगा।

पर मॉर्डन साइंस के अनुसार आज की टेक्नोलॉजी में यह सम्भव नही है क्योकि एक इंसान के शरीर मे लगभग 7,000,000,000,000,000,000,000,000,000 इतने एटम्स होते है ओर अगर हम डेटा की बात करे जोकि M.B., G.B., T.B. में होता है तो एक इंसानी शरीर मे 60 Z.B.  सूचना होती हैं ओर आपको यह जान लेना चाहिए कि Z.B. बहोत ज्यादा होता है, यह कुछ इस प्रकार है:-

1. K.B.
2. M.B.
3.G.B.
4. T.B.
5. P.B.
6. E.B.
7. Z.B.

हम लोगो का शरीर अरबो गिगबाईट्स का बना हुआ है, हर एक एटम को हमे सबसे पहले ENTANGLE करना पड़ेगा फिर DIGITIZE करना पड़ेगा और फिर अंत मे जाकर उन एटम्स को टेलीपोर्ट करना होगा, अगर हम लोग सच मे इतने मुश्किल शरीर को टेलीपोर्ट करने जाए तो हमे इस काम मे 4.5×10 की घात 18 साल लग जाएंगे, मतलब की इस ब्रह्माण्ड की उम्र से 350 गुना ज्यादा समय लग जाएगा ओर दूसरी बात यह है कि जब आप टेलीपोर्टेशन करोगे तब जब आप दूसरी जगह पर पहुँचोगे तो आप वह नही रहे जाओगे जो कि आप पहले थे, मतलब की अगर में आपको धरती से मंगल पर भेजता हु तो आप बीच मे ही खत्म हो जाओगे, हालांकि आप मंगल पर जा कर फिर से बन जाओगे लेकिन फिर आप वही नही रहोगे जो कि आप धरती पर थे आपकी पहचान पूरी तरह से अलग होगी क्योकी आप खत्म होकर फिर से बने हो।
तो अंत मे हमे यह पता चलता है कि अभी की टैक्नोलॉजी से तो हम टेलीपोर्टेशन नही कर सकते लेकिन हो सकता है कि यह भविष्य में सम्भव हो।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने के लिए धन्यवाद।।

मंगलवार, 13 मार्च 2018

क्या समय यात्रा संभव है?

नमस्कार दोस्तो, आपका एक बार फिर स्वागत है मै Av Hindi Creator आज आपके लिए लेकर आया हूं बेहद रोमांचक पोस्ट , जिसमे आज हम बात करेंगे समय यात्रा के बारे मे ओर जानेगे की यह सम्भव है या नही, तो ज्यादा समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए शुरू करते है:-

 ◆ समय यात्रा संभव है ? ◆






समय यात्रा विज्ञान का एक बहोत ही विवादास्पद और आकर्षक टॉपिक है, समय यात्रा के बारे मेंं तो आपने जरूर सुना होगा ओर इसके बारे मेंं आपने इंटरनेट पर बहुत सारी वीडियो और ब्लॉग्स पढ़े होंगे, पर इस पोस्ट में आपको समय यात्रा से संबंधित सारी जानकारी मिल जाएगी, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपका समय यात्रा का सारा कांसेप्ट क्लियर हो जाएगा।

समय यात्रा वह होती है जिसमें हम समय में आगे या पीछे जा सकते हैं, जहाँ तक कि लोगो का यह मानना है की समय यात्रा एक सच्चा सिद्धान्त नही है यह बस साइंस फिक्शन है, तो में आपको बता दु की विज्ञान की दुनिया मे साइंस फिक्शन तो होता ही है पर कुछ चीजें सही प्रयोगों पर आधारित होती है, जिसे हम साइंटिफिकली प्रूव्ड कहते है ओर कुछ जिसे जो रियल एक्सपेरिमेंट पर नही बल्कि थोरेक्टली प्रूव्ड होती है गणित के जरिए, जिन्हें हम थोरेक्टली प्रूव्ड कहते है।

आइंस्टाइन ओर बाकी कई वैज्ञानिकों की थ्योरीज़ समय यात्रा को स्वीकृति देती है और यही वजह है कि यह इतना विवादास्पद टॉपिक है।

अब मैं आपको यह बताना चाहता हु की अभी जो मेने आपको बताया था कि यह प्रेक्टली प्रूव्ड नही है, यह बात सही भी है और नही भी क्योकि एक छोटे स्केल पर समय यात्रा भी प्रूव्ड है, एक प्रयोग में समय यात्रा की गई थी पर सिर्फ कुछ नेनो सेकंड के लिए, यह कोई ज्यादा बड़ा समय तो नही है लेकिन इससे कम से कम हमे यह तो पता चलता है कि समय यात्रा सम्भव है।
यह एक्सपेरिमेंट अक्टूबर 1971 में हुआ था और इस प्रयोग का नाम है HAFELE KEATING EXPERIMENT. 

एस्ट्रोनॉट रिचर्ड केटिंग ने 4 एटॉमिक घडियों को लेकर उड़ान भरी थी और उन्होंने पूरी धरती का 2 चक्कर लगाया और जब वह पूरे 2 चक्कर लगाकर यूनाइटेड स्टेट के नेवाल ऑब्जरेट्री में आए तब उन्होंने दोनों घडियों के समय को मिलाया, अब इसमें रोचक बात यह है कि उस ऑब्जरेट्री की घड़ी उनके प्लेन में मौजूद घड़ी से कुछ नैनो सेकंड आगे थी, अब हम जैसे कि उदाहरण के तौर पर समझे तो अगर दोनों घड़ियों का शुरुआत का समय 4:10 और 10 करोड़ 10 लाख नैनो सेकंड था और अगर हम मान ले कि 4 घंटे के बाद वह वापस धरती पर आए तब दोनों घड़ी का समय 8:10 और 10 करोड़ 10 लाख नैनो सेकंड होना चाहिए पर उनके हवाई जहाज के घड़ी का समय ऑब्जर्वेटरी के घड़ी से 10 लाख नैनो सेकंड पीछे था मतलब 8:10 और 10 करोड़ नैनो सेकंड बज रहा था।

 अब कुछ लोग कहेंगे कि यह तो बस कुछ नैनो सेकंड्स का फर्क है तो इससे क्या फर्क पड़ता है शायद वह घड़ी खराब होगी, पर मैं आपको बता दूं कि वह प्रयोग किसी सामान्य घड़ी या फिर किसी एडवांस इलेक्ट्रॉनिक घड़ी से नहीं हुआ था, वह प्रयोग एक एटॉमिक घड़ी से किया गया था इस दुनिया में एटॉमिक घड़ी से ज्यादा सटीक और कुछ भी नहीं है, यह 1 सेकंड के करोड़वे हिस्से को भी रिकॉर्ड कर सकता है।

 तो अब इस प्रयोग से आखिर साबित क्या हुआ ? इस प्रयोग से साइंटिफिकली यह साबित हुआ कि धरती पर एक जगह पर रखी घड़ी उस हवाई जहाज के घड़ी से ज्यादा तेज थी, क्या धरती पर रखी घड़ी तेज हुई या फिर हवाई जहाज में रखी घड़ी धीरे हुई ? सही में हवाई जहाज वाली घड़ी धीरे हो गई थी इसका मतलब यह है कि कोई भी चीज जितनी तेज चलेगी उसके समय की रफ्तार उतनी ही कम होगी।

 यह इतिहास का एकमात्र अकेला साबित हुआ प्रयोग है जो की समय यात्रा को संभव बनाता है, धरती पर रखी हुई घड़ी तो एक जगह पर थी पर उस हवाई जहाज में रखी हुई घड़ी 900 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से सफर कर रही थी इसका मतलब यह है कि चलती हुई किसी भी चीज के लिए समय धीरे चलता है उसके मुकाबले जो चीज एक जगह पर पड़ी हुई है, अब अगर हम गहराई से देखें तो हमें यह पता चलता है कि जब आप किसी बस या कार में सफर करते हो तब आप का समय धीरे हो जाता है उसके मुकाबले जब आप अपने घर में बैठे रहते हो।

 जी हां यह आपको थोड़ा अजीब लगेगा पर यह सच है, इसमे मिली सेकंड के करोड़वे हिस्से का फर्क तो जरूर पड़ता है, तो अगर हम भविष्य में समय यात्रा करना चाहते हैं तो इस प्रयोग का उपयोग किया जा सकता है पर मिली सेकंड भविष्य में जाकर हम क्या करेंगे ?
 तो अब मान लीजिए कि आपको 5 साल आगे भविष्य में जाने का मन है तो इसके लिए आपको बहुत ज्यादा तेजी से सफर करना पड़ेगा और बिल्कुल यही बात महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग्स ने बताया था, ज्यादातर समय यात्रा के स्त्रोत में आपको यह पता चल जाएगा कि अगर आप प्रकाश की गति से सफर करोगे तो आप समय यात्रा आसानी से कर लोगे पर यह कोई नहीं बताता कि आखिर कैसे ? तो इसके पीछे का पूरा रहस्य मैंने आपको बता दिया है और इसलिए यह कहा जाता है कि अगर आप प्रकाश की गति से सफर करोगे तो आप समय यात्रा कर लोगे।

 अब होता यह है कि जब आप प्रकाश की गति से सफर करते हो तो आपके लिए समय बहुत धीरे हो जाएगा उसके मुकाबले जो कि धरती पर मौजूद है, अगर आप किसी अंतरिक्ष यान में प्रकाश की गति के समीप और या फिर प्रकाश की गति पर ही सफर करोगे तो आप समय यात्रा कर लोगे, इतनी गति वाले अंतरिक्ष यान में अगर आप 3 साल भी सफर करते हो और फिर धरती पर आते हो तो आप को यह पता चलेगा कि धरती पर 900 साल बीत गए है क्योंकि आपके लिए तो समय धीरे हो जाता है पर बाकी दुनिया के लिए नहीं, इसीलिए आपके लिए वह कम समय होगा लेकिन दूसरों के लिए वह सामान्य समय होगा।

 तो इसी तरह आप समय यात्रा कर सकते हो पर इसमें एक मुश्किल यह है कि आप फिर से भूतकाल में नहीं आ सकते, अगर इस प्रयोग से आप भविष्य में चले गए तो फिर आपको हमेशा के लिए वहीं पर रहना पड़ेगा, तो यही है भविष्य में जाने का विज्ञान पर अब बात आती है कि यह प्रैक्टिकल क्यों नहीं है, थ्योरेटिकल क्यो है ?

 यह इसलिए क्योंकि प्रकाश की गति से चलने वाली ट्रेन बनाना बिल्कुल भी प्रेक्टिकल नहीं है क्योंकि अगर हम लोगों ने ऐसी मशीन बना भी ली तो इसे ऐसी कोई ऊर्जा की सोर्स नहीं दे सकेंगे जिससे यह चल सके, तो इसलिए हम यह कह सकते हैं की भविष्य की समय यात्रा नामुमकिन तो नहीं पर प्रेक्टिकल भी नहीं है।

 चलो अब हमने भविष्य में जाने के लिए समय यात्रा की बात तो कर ली तो अब हम भूतकाल में जाने की समय यात्रा की बात करते हैं, तो देखिए भूतकाल में आप किसी प्रकाश की गति से जाने वाले तरीके से नहीं जा सकते क्योंकि भूतकाल में जाना भविष्य में जाने से भी ज्यादा विवादास्पद है, एक विरोधाभास के चलते जिसका नाम है द ग्रांडफादर पैराडॉक्स, यह बहुत ही फेमस पैराडॉक्स है यह पैराडॉक्स कहती है कि मान लीजिए कि आप किसी भी तरह समय यात्रा करके भूतकाल में चले गए और आपने अपने दादाजी को ही मार दिया तो आप भी कैसे रहोगे ? मेरा मतलब यह है कि जब आपने अपने ही दादा जी को भूतकाल में जा कर मार दिया तो फिर भविष्य में आपका जन्म कैसे होगा ? आप तो पैदा ही नहीं हुए और अगर आप पैदा ही नहीं हुए तो उन्हें मारा ही किसने ?

 एक बार इस चीज को सोच कर देखिए यह एक सुपर कन्फ्यूजन प्रॉब्लम है जिसका कोई उत्तर नहीं है, इसलिए बहुत सारे लोगों का यह मानना है कि भूतकाल में जाना नामुमकिन है, स्टीफन हॉकिंग्स का यह कहना है कि यह संभव है और वह तरीका है वार्म होल, इसके बारे में सबसे पहले अलबर्ट आइंस्टाइन ने बताया था इसलिए वार्म होल का दूसरा नाम आइंस्टाइन रोजन ब्रीज है।

 अब वार्म होल क्या है ? आप वार्म होल को एक सुरंग कह सकते हो जो ब्रह्मांड के दो जगहों और दो समय को जोड़ता है, पर जानते हो यह कुछ ज्यादा ही नॉन थ्योरेटिकल चीज है, मतलब वैज्ञानिकों ने यह दावा तो जरूर किया है की वार्म होल तो मौजूद है पर आज तक किसी ने भी एक भी वार्म होल को देखा नहीं है, तो हां आप यह कह सकते हो कि इसके होने की संभावना बहुत कम है और यह एक रहस्य है और यह बस गणितीय तौर पर साबित है प्रेक्टिकली नहीं।

 समय यात्रा का सबसे रोचक तरीका है टाइम मशीन, पर टाइम मशीन कुछ ज्यादा ही साइंस फिक्शन हो जाएगा, इसे चलाने के लिए हमें एक स्पेशल तरह की उर्जा चाहिए जिसका नाम है नकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा भी एक थ्योरेटिकल कांसेप्ट है जो कि सिर्फ गणितीय रूप से साबित है और टाइम मशीन बनाने का कोई स्पेशल फार्मूला भी नहीं है किसी के पास, पर मैं यह आशा करता हूं कि शायद हम भविष्य में टाइम मशीन बना ले।

 तो इसीलिए अंत में जाकर यह बात साबित होती है कि  भविष्य की समय यात्रा करना तो प्रेक्टिकली प्रूव्ड है लेकिन भूतकाल की समय यात्रा करना बस थ्योरेटिकली गणितीय रूप से साबित है।

तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने का धन्यवाद।।


सोमवार, 12 मार्च 2018

नासा का सूरज पर जाने का मिशन 2018

हैल्लो दोस्तो आपका स्वागत है, मै Av Hindi  Creator आज आपको नासा के सन मिशन के बारे में बताने वाला हूं और इसके साथ ही यह भी बताने वाला हूं कि कैसे आप अपना नाम सूरज पर भेज सकते हो, तो पढ़ते रहिए इस ब्लॉग को अंत तक, अब ज्यादा समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए शुरू करते है:-

― SUN MISSION OF NASA 2018 ―



सूरज से कई अलग-अलग वेवलेंथ में हानिकारक रेडिएशन निकलती है जो कि हमारे सौरमंडल के ग्रहों को गर्म करती है और एनर्जी प्रदान करती है लेकिन भले ही हम सूरज पर 150 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर एक बेहद घने वातावरण के नीचे रहते हैं फिर भी यह किरणें हमारी त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है।

 सूर्य की इन्हीं किरणों के आंकड़े हासिल करने के लिए नासा एक अंतरिक्ष यान को सूरज के बेहद करीब भेज रहा है यह यान सूरज के इतना करीब जाएगा कि जितना और कोई भी यान आज तक नहीं गया, नासा को उम्मीद है कि यह यान पिघलने से पहले हर तरह की जानकारी हासिल कर लेगा, इसके साथ ही दोस्तों अगर आप की ख्वाहिश है की इस मिशन के साथ आपका नाम भी सूरज पर भेजा जाए तो खुश हो जाइए क्योंकि NASA बिल्कुल फ्री में आपका नाम सूरज पर भेज रहा है।

आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें क्योंकि जिसको भी अपना नाम सूरज पर भेजना है वह भेज सके क्योंकि इसकी अंतिम तारीख 27 अप्रैल 2018 है, इस तारीख के बाद कोई भी नाम स्वीकार नहीं किया जाएगा।

अंतरिक्ष यान पार्कर सोलर प्रोब का नाम एक मशहूर एस्ट्रोनॉमर Dr. Eugene N. Parker के नाम पर रखा गया है इस यान को 2018 की गर्मियों में लॉन्च करने की योजना बनाई जा रही है यह यान सूरज के पास जाने में ज्यादा समय नहीं लेगा और सूरज की सतह से 60 लाख किलोमीटर तक पहुंच जाएगा, कहने को तो यह दूरी बहुत ज्यादा लग रही है लेकिन यह यान सूरज के वातावरण और तापमान को पृथ्वी से 520 गुना अधिक पैमाने पर अनुभव करेगा यानी कि लगभग 1,377 डिग्री सेल्सियस तापमान का सामना करेगा, इसके साथ ही अंतरिक्ष यान हाई रेडियो एक्टिविटी का भी सामना करेगा।

 इस मिशन में यह यान कई बार सूरज के खतरनाक इलाकों में अंदर और बाहर चक्कर लगाएगा और किसी दूसरे अंतरिक्षयान के मुकाबले 7 गुना अधिक नजदीक पहुंच जाएगा, पिछली बार 1976 में एलियास 2 नाम का अंतरिक्ष यान सूरज के पास पहुंचा था तब इस यान की सूर्य से दूरी 430 लाख किलोमीटर थी, पार्कर सोलर प्रोब सूरज की सबसे बाहरी सतह कोरोना तक पहुंचेगा जिसके बारे में हम अभी तक कुछ ज्यादा नहीं जानते।

 उम्मीद जताई जा रही है कि यह यान सूरज की बाहरी परत के रहेश्यो को खोल देगा, 1.5 बिलियन डॉलर की लागत से तैयार इस यान को 31 जुलाई 2018 को फ्लोरिडा में स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंट्रल से लॉन्च किया जाएगा, अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो यह यान 7 साल में सूरज की बाहरी परत के पास 24 बार जाएगा, इस यान के बाहर एक 4.5 इंच मोटी कार्बन कंपोजिट शील्ड लगाई गई है जो कि इस यान को सूरज से निकलने वाली हानिकारक किरणों से बचाएगी यानी कि इस यान को 1,377 डिग्री तापमान तक सुरक्षित रखेगी।

 पार्कर सोलर प्रोब का आकार एक कार के बराबर है नासा का कहना है कि यान के अंदर लगे उपकरण इतने हाई टेंपरेचर को सहन कर लेंगे और यान के अंदर सामान्य तापमान पर काम करेंगे, यह उपकरण कई सारी चीजें नापेंगे जिससे कि हमें सूरज के बारे में कई नई जानकारियां मिलेगी, इसके साथ ही इसके चुंबकीय क्षेत्र, इलेक्ट्रिक फील्ड और सोलर विंड को समझने में भी सहायता मिलेगी, वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह सब जानने के बाद हम सूरज के दो महत्वपूर्ण रहस्यों को जान जाएंगे, पहला तो यह है कि सोलर विंड की गति तेज कैसे होती है और दूसरा यह की सूरज की बाहरी परत कोरोना का तापमान उसकी सतह से इतना ज्यादा क्यों होता है।

 नासा के मुताबिक सूरज की सतह का तापमान 5,500 डिग्री सेल्सियस है जबकि उसके वातावरण का तापमान 20 लाख डिग्री सेल्सियस है, यह मिशन हमारे सौरमंडल के इस विशालकाय तारे के बारे में बहुत कुछ बता पाएगा और यह भी संभव है कि इस आग की भट्टी के पास जाकर यह यान सभी तरह के आंकड़े पृथ्वी पर भेज दे, तो हो सकता है कि हमें इन सवालों के एकदम सही जवाब मिल जाए।

 वैज्ञानिक ऐसी आशा कर रहे हैं कि सूरज के इतने पास जाकर यह यान पिघलने से पहले हमें हमारी जरूरत के आंकड़े भेज सके, वैसे मैं यह बता दूं कि कई लोगों का सवाल होगा कि सूरज के पास तो कोई जा ही नहीं सकता इसलिए या तो नासा पागल हो गया है और या फिर हमें झूठी खबर बता रहे हैं तो उन लोगों को बता दु की यह कोई झूठी खबर नहीं है इसे आप नासा की वेबसाइट पर जाकर भी देख सकते हैं।


पहले इस अंतरिक्ष यान का नाम सोलर प्रो प्लस था लेकिन मई 2017 में इसे यूजीन पारकर के नाम पर रख दिया गया, जिन्होंने 1958 में सोलर विंड के होने की बात कही थी, जहां तक की इस यान की गति की बात है तो जब यह यान सूरज के सबसे ज्यादा नजदीक होगा तो इसकी गति 4 लाख 30,000 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी यानी कि यह यान एक सैकेंड में 201 किलोमीटर की दूरी तय करेगा इसकी गति इतनी ज्यादा है कि हम इस गति से धरती से चंद्रमा की दूरी मात्र 30 मिनट से भी कम समय में तय कर सकते हैं, यह यान अब तक का सबसे अधिक गति वाला यान है ऐसा कहा जा रहा है कि इस मिशन में यान के अंदर एक माइक्रोचिप भी जाएगी जिसमें लोगों के नाम मौजूद होंगे, स्टार ट्रेक टीवी सीरीज के एक्टर विलियम शंटर्न ने इसकी पहल की थी और उनका कहना था कि अब लोगों के नाम सूरज के बाहर मौजूद बेहद गर्म वातावरण में दिखाई देंगे इस इस चिप के साथ ही यह यान यूजीन पारकर और उनकी खोज से संबंधित सभी तस्वीरों को भी अपने साथ ले जाएगा।

 इस मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर पैट्रिक हिल का कहना है कि अब तक दो लाख से ज्यादा लोगों के नाम उन्हें प्राप्त हो चुके हैं दोस्तों अगर आपको सूरज के पास अपना नाम भेजना है तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके अपना नाम भेज सकते हैं यह बिल्कुल फ्री है और इसकी आखिरी तारीख 27 अप्रैल 2018 रखी गई है उसके बाद नाम स्वीकार नहीं किए जाएंगे,
नासा का यह मिशन बहुत ही खतरनाक है जिसमें एक छोटी सी गलती भी सारे अरमानों पर पानी फेर सकती है यानी कि सिर्फ एक गलती और यान सीधा सूरज में समा जाएगा।

सूरज पर अपना नाम भेजने के लिए क्लिक करे और दिये गए निर्देशों का पालन करे


मेने भी अपना नाम सूरज पर भेज दिया है और आप उसका सर्टिफिकेट भी देख सकते है।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यहा आने का धन्यवाद।।

रविवार, 11 मार्च 2018

Top 5 बीमारिया जो आपको महामानव बना सकती है

नमस्कार दोस्तो एक बार फिर स्वागत है आपका, मै Av Hindi Creator आज आपको बताने वाला हु कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में जो कि आपको एक महामानव यानी कि सुपर ह्यूमन बना सकती है और यह बीमारिया दुनिया मे सही में मौजूद है, तो ज्यादा समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।

तो चलिए शुरू करते है:-



आपको जब भी ठंड लगती है ओर जब आपको बुखार होता है तब आपको अच्छा नहीं लगता, यह सही बात है बीमारी यह जो शब्द है उसे आप ज्यादातर नकारात्मक ही मानते हो, पर क्या हो जब मैं आपको बताऊं की इस दुनिया में ऐसी भी बीमारियां है जो आपको शक्तियां दे देती है जी हां सुपर पावर्स, आपको सुपर हीरोस की फिल्में तो जरूर पसंद होगी और उनको देखकर आपको यह जरूर लगता होगा कि काश मेरे पास भी यह शक्तियां होती और आपको मैं यह बता दूं कि इन बीमारियों का रहस्य आज तक कोई भी वैज्ञानिक नहीं समझा पाया है।


1.हायपर थरमेशिया:-

इस बीमारी को सुपर मेमोरी की बीमारी भी कह सकते हैं यह एक ऐसी बीमारी है जो कि इंसान के दिमाग के सेल्स पर असर डालती है और उस इंसान का दिमाग एक अजीब तरह से अपनी जिंदगी के हर एक पल को याद रख पाता है जब मैंने आपको बताया कि हर एक पल तो इसका मतलब है कि हर एक पल, जी हां जिन लोगों को यह बीमारी होती है वह अपनी जिंदगी का हर एक सेकंड बहुत अच्छी तरह से याद रख पाते हैं उन लोगों को हर 1 सेकंड की बारीक से बारीक डिटेल भी याद रहती है जो किताबें यह लोग पढ़ते हैं उन किताबों की हर एक लाइन उन्हें हमेशा के लिए याद रहती है जिन किताबों को यह लोग कई साल पहले पढ़ चुके हैं उसकी हर एक लाइन भी इन्हें अच्छे से याद रहती है।
 TV में सालों पहले किसी चैनल पर कितने बजे क्या दिखाया गया था यह भी इन्हें याद रहता है अब अगर मैं आपसे पूछूं कि 2007 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में चौथे ओवर की दूसरी बॉल पर किसने कितने रन बनाए थे तो क्या आप बता पाओगे ? जी हां आप नहीं बता पाओगे, लेकिन जो व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित है वह इसको आसानी से बता सकता है अब आप ही सोचिए कि यह बीमारी उन लोगों की याददाश्त को कितने जबरदस्त तरीके से बढ़ाती है।
 लेकिन जैसे कि हर चीज का फायदा होता है और नुकसान भी वैसे ही इस बीमारी का भी नुकसान है आपको इस बीमारी के बारे में पढ़ने के बाद ऐसा लग रहा होगा कि काश मेरे पास भी ऐसी बीमारी होती, ऐसी बीमारी मुझे हो जाए तो मजा आ जाए, लेकिन इस बीमारी का नुकसान यह है कि जिन लोगों को यह बीमारी होती है उन्हें हर पल बहुत ज्यादा सर दर्द होता रहता है अब आप ही सोचो कि अगर आप के सर में हमेशा दर्द रहता हो तो क्या आप रह पाओगे इसका एक और नुकसान यह है कि आप इस बीमारी में कुछ भी भूल नहीं पाओगे, आप चाहकर भी कुछ नहीं भूल पाओगे, अगर आपके साथ कुछ बहुत ही खराब होता है तब आप समय के साथ-साथ उस घटना को लगभग लगभग भूल जाते हो और उसे कम भाव देते हो और आप यह सोचते हो कि जो हो गया सो हो गया और उसे भूल कर आप आगे की सोचते हो,  पर इस बीमारी में आप कुछ नहीं भूल पाओगे आपको हर 1 सेकंड याद रहेगा इसलिए अगर आपके पास खराब यादें भी हो तो आप उसे कभी भी भूल नहीं पाओगे, इस दुनिया में लगभग ऐसे 60 लोग हैं जिन्हें यह बीमारी हुई है।


2.अनलगेसिया:-

इस बीमारी को आप दर्द महसूस नहीं होने वाली बीमारी भी कह सकते हो, कई फिल्मों में आपने उन हीरोस को जरूर देखा होगा जिन्हें दर्द बिल्कुल भी महसूस नहीं होता, तो इस बीमारी में भी बिल्कुल ऐसा ही होता है कम दर्द महसूस होना या फिर पेन किलर वाली चीज की मैं बात नहीं कर रहा।
यह इन लोगों के जिन्स में ही होता है जिसके चलते इन्हें एक परसेंट भी दर्द महसूस नहीं होता, जिन लोगों को यह बीमारी होती है उन लोगों को आप कितना ही जोर से मार दो उनको दर्द होता ही नहीं है अब आपको यह पढ़कर ऐसा लग रहा होगा कि यह तो बहुत अच्छी बीमारी है लेकिन इसका भी एक नुकसान है अब मैं आपको बता दूं कि दर्द जो होता है वह और कुछ नहीं हमारे शरीर का एक सिग्नल होता है हमारा शरीर हमको बताने की कोशिश करता है कि हमारे शरीर में कुछ गड़बड़ है लेकिन जिन लोगों के शरीर में यह बीमारी होती है उन्हें ना तो कोई बाहर का दर्द होता है और ना ही कोई अंदर का, उन्हें बाहर का दर्द महसूस नहीं होता यह तो एक सुपर पावर है लेकिन उन्हें अंदर का दर्द भी महसूस नहीं होता बस यही बात सही नहीं है क्योंकि अगर कभी उन्हें  जाने अनजाने में कोई चोट लग जाए तो उन्हें इस बात का जरा भी पता नहीं चलता और उन्हें इंफेक्शन हो जाता है साथ ही अगर उनकी कोई हड्डी टूट जाए तो भी उन्हें कुछ पता नहीं चल पाता और वह टूटी हुई हड्डी उनके मांस को चीरते हुए बाहर आ जाती है और जब तक उन्हें इस बात का पता चलता है तब तक बहुत देर हो जाती है।


3.सेवन्त सिन्ड्रोम:-

इस बीमारी को आप जरूरत से ज्यादा टैलेंट वाली बीमारी भी कह सकते हैं आपने अपने आसपास क्रिएटिव और टेलेंटेड लोगों को देखा होगा, पर जिन लोगों को यह बीमारी होती है उनमें टैलेंट जरूरत से भी ज्यादा होती है।
 जिन लोगों में यह बीमारी होती है उन लोगों में म्यूजिक बनाने, पेंटिंग करने, गणित की बहुत मुश्किल समस्या को सुलझाने और भी ऐसे कई कठिन काम करने की टैलेंट हद से भी ज्यादा होती है, अब आप को यह लगे कि अलग-अलग लोगों में तो यह टैलेंट होती ही है किसी की गणित बहुत अच्छी होती, तो किसी को पेंटिंग करना बहुत अच्छा आता है, और ऐसे कई प्रकार के टैलेंट, पर इस बीमारी की खास बात यह है कि जिन लोगों को यह बीमारी होती है वह लोग इन सब चीजों में बड़े ही माहिर होते हैं, स्टेफन विडशेयर उन लोगों में से एक है जिन्हें यह बीमारी है यह 3D मॉडलिंग करते थे और बचपन से ही इन्हें लगता था कि इनका दिमाग हद से ज्यादा तेज है इन्होंने सिर्फ एक बार हवाई जहाज से घूमने के बाद ही पूरे लंदन का नक्शा बना डाला था मतलब अब आप ही सोचो कि हवाई जहाज से जो नीचे का नजारा दिखता है उसका हर एक डिटेल, हर एक बिल्डिंग, हर एक घर इनको याद था और सिर्फ एक बार देखने पर ही उन्होंने पूरे लंदन की 3D मॉडल को बना डाला।


4.उर्बच वीएथ डिजीज:-

सीधी भाषा में आप इस बीमारी को बिल्कुल भी डर नहीं लगने वाली बीमारी कह सकते हो, यह बीमारी जिन लोगों को होती है उनके अंदर से सारा का सारा डर खत्म हो जाता है सोचो कि आपको कैसा महसूस होगा अगर मैं आपके अंदर से हर चीज के डर को मिटा दूं 1
एक औरत है जो कि अपनी पहचान गुप्त रखना चाहती है इसलिए उनका नाम मैं यहां नहीं बता रहा, लोगों ने उन्हें the women who knows no fear के नाम से मशहूर कर दिया है जब रिसरचर्स को यह पता चला कि इन्हें यह बीमारी है जिसमें डर पूरी तरह से खत्म हो जाता है तब उन्होंने इन्हें परीक्षा के लिए बुलाया, फिर उन्होंने इन्हें डराने के प्रयोगों को किया पर वह चाहे जो भी करते उस औरत को बिल्कुल भी डर नहीं लगता।
 अब आपके मन में यह बात आ सकती है कि यह महिला झूठ बोल रही होगी इसे डर लगता होगा पर यह बताती नहीं होगी, पर मैं आपको यह बता दूं कि वैज्ञानिक इनकी दिमाग की तरंगों को उस समय देख रहे थे जब इन्हें डराया जा रहा था। जब आप को डर लगता है तो आपकी दिमाग की तरंगे बहुत तेजी से चलती है और इस गतिविधि को आपके दिमाग को कंप्यूटर से जोड़कर देखा जा सकता है और यही वैज्ञानिकों ने भी किया, पर जब उस महिला पर यह प्रयोग किया गया तो उनके दिमाग की तरंगे एकदम स्थिर थी उनमें कोई बदलाव नहीं आ रहा था, कोई भी परिस्थिति हो उस औरत का दिमाग हमेशा शांत रहता था जिसका सीधा मतलब था कि उन्हें सच में किसी से डर नहीं लगता है लेकिन इसका सबसे बड़ा यह भी नुकसान है कि डर नहीं लगने के कारण इस बीमारी से ग्रसित लोग बहुत खतरनाक काम करने लग जाते हैं और जिस कारण उनकी जान भी चली जाती है।


5.मसल्स हायपरट्रॉफी सिंड्रोम:-

इस बीमारी को आप सीधी भाषा में ताकत की बीमारी भी कह सकते हो, आपने उन सुपरहीरोज को जरूर देखा होगा जिनके पास ऐसी ताकत की शक्ति होती है जिससे वह अपने हाथों से कार तक को भी उठा लेते हैं वह भारी से भारी चीजों को आसानी से उठा लेते हैं।
 इस बीमारी में भी बिल्कुल यही होता है इस बीमारी में आपके शरीर का फैट बहुत ज्यादा कम हो जाता है और आपके शरीर के मसल्स हद से भी ज्यादा बढ़ जाते हैं और जब मसल्स बढ़ती है तो शरीर की ताकत भी 5 से 6 गुणा अधिक बढ़ जाती है और इन सभी बीमारियों में जो कि ऊपर बताई गई है उनमें बस यही बीमारी है जिसका कोई नुकसान नहीं है।
 दुनिया में कई लोगों को यह बीमारी है और उनके शरीर में सामान्य से ज्यादा मसल्स पाए जाते हैं आखिर ज्यादा ताकत किसे पसंद नहीं होगी।


तो बस आज के लिए इतना ही।
यहा आने के लिए धन्यवाद।।

रॉयल एनफील्ड का इतिहास

नमस्कार दोस्तों मै AV  HINDI CREATOR आज आपके लिए लेकर आया हूं  थोड़ा इतिहास से सम्बंधित ब्लोग, आज हम बात करने जा रहे है अधिकतर लोगों की ड्रीम बाइक रॉयल एनफील्ड के बारे में, तो ज्यादा समय नष्ट न करते हुवे शुरू करते है।


तो चलिए करते है शुरू:-





दोस्तों बुलेट को पसंद करने वाले लोग कहते है कि बाइक होतो बुलेट जैसी इसलिए यह बाइक रोड़ से ज्यादा लोगो के दिलो पर राज करती है।
भले ही हमने इस बाइक के ads टीवी पर ज्यादा न देखे हो लेकिन फिर भी सब इस बाइक की ताकत से वाकिफ है।
यहा हम बात कर रहे है ROYAL ENFIELD की जिसके ने सिर्फ भारत मे बल्कि पूूरी दुनिया मे करोड़ों फैंस है और इस ब्रांड की लोकप्रियता का अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि रॉयल एनफील्ड के कस्टमर इतने ब्रांड लॉयल होते हैं कि इसकी नई बाइक के लिए वह कई महीनों तक इंतजार कर सकते हैं और दोस्तो रॉयल एनफील्ड को एक इंडियन ब्रांड के रूप में जाना जाता है।
आपको यह सुनकर हैरानी होगी कि इसकी शुरुआत 125 साल पहले इंग्लैंड में हुई थी ओर यह आगे चलकर कैसे एक भारतीय ब्रांड बना इस के बारे में हम आगे जानेंगे।


-रॉयल एनफील्ड का इतिहास:-

दोस्तों रॉयल एनफील्ड की शुरुआत अल्बर्ट A.D. और R.W. स्मिथ ने साल 1892 में कि थी और उस समय इस कंपनी का नाम था EADIE MANUFACTURING LIMITED जो की रॉयल स्माल ऑल फैक्ट्री के लिए बंदूक के छोटे छोटे पार्ट्स बनाने का काम करती थी।
फिर आगे चल कर 1896 में eadie manufacturing के अंतर्गत ही एक ओर फेक्ट्री बनाई गई, जिसका नाम रखा गया THE NEW ENFIELD CYCLE COMPANY, यह कंपनी मुख्य रूप से साईकल ओर उसके पार्ट्स बनाती थी।
कुछ सालो बाद कंपनी ने एक नई सोच के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया, 1899 में उन्होंने 4 पहियो वाली एक साईकल बनाई और उसके ठीक 2 साल बाद ही 1901 में साईकल पर ही इंजन जोडकर एनफील्ड ने अपनी पहली मोटरसाइकिल लॉन्च की, जिसमे उन्होंने MINERVA नाम की कंपनी का इंजन उपयोग में लिया था।

ओर फिर 1903 में इस कंपनी ने कार प्रोडक्शन में भी अपना कदम बढ़ा दिया, हालांकि उन्हें इस बिजनेस से अगले कुछ सालों में बहोत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा, इसलिए उन्होंने अपनी कार बनाने वाली कंपनी को ALLDAYS & ONIONS को बेच दिया।

लेकिन मोटरसाइकिल बनाने में एकाग्रता लाने के बाद उनको सब से बड़ी सफलता 1914 में मिली, जब पहले वर्ल्ड वॉर के समय उन्हें ब्रिटिश वॉर डिपार्टमेंट को मोटरसाइकिल सप्लाई करने का एक बड़ा आर्डर मिला और फिर इंपीरियल रशियन सरकार ने भी उन्ही से मोटरसाइकिल खरीदने का फैसला किया।

यह से इस कंपनी की मोटरसाइकिल बहोत ज्यादा तेजी से प्रसिद्ध होने लगी, और फिर दूसरी वर्ल्ड वॉर के दौरान ब्रिटिश अथॉरिटीस ने इस कंपनी के साथ मिलेक्ट्री मोटरसाइकिल बनाने का एक बहोत बडा कॉन्ट्रैक्ट साइन किया, और फिर दूसरे विश्व युद्ध मे एनफील्ड की मोटरसाइकिल को बड़ी मात्रा में उपयोग में लिया गया।

इंडिया में रॉयल एनफील्ड को 1949 में लाया गयााआ था, हालांकि लोगो ने इसे 1954 से पसन्द करना शुुुुरू किया था जब भारत सरकार ने पुलिस और इंडियन आर्मी के लिए इस बाइक का उपयोग किया था, और उस समय 350cc की 800 मोटरसाइकिल मंगाई गई थी।
1955 में एनफील्ड कंपनी ने मद्रास मोटर्स के साथ पार्टनरशिप की ओर कुछ इस तरह से रॉयल एनफील्ड (इंडिया )की शुरुआत हुई, मद्रास मोटर्स ने पहेली बार 350cc की मोटरसाइकिल बेची जिसके पार्टस वह इंग्लैंड से मंगाते थे।
और फिर 1962 से मोटरसाइकिल के सभी पार्टस इंडिया में ही बनने लगे, हालांकि एनफील्ड(इंग्लैंड) को आगे चल कर जबरदस्त घटा हुवा और इसलिए 1971 में वह कंपनी बन्द करनी पड़ी, लेकिन भारत मे मोटरसाइकिल का प्रोडक्शन चालू रखा गया, लेकिन भारत मे भी इस कंपनी को घटा हो रहा था इसलिए आगे चल कर यह कंपनी EICHER MOTERS LIMITED के साथ जुड़ गई।
और फिर eicher group के मालिक विक्रमलाल के बेटे सिद्धार्थ ने साल 2000 में मार्केटिंग ओर आउटलेट के दम पर फिर से इस मोटरसाइकिल की बिक्री बढ़ा दी, क्योकि उन्होंने समय के साथ डिजाइन में परिवर्तन किया था, ओर एनफील्ड बाइकर्स के लिए अलग-अलग राइड भी ऑर्गेनाइज्ड करती है जिससे लोगो मे भी इस बाइक का क्रेज बढ़ता है।
आज के समय मे यह मोटरसाइकिल भारत मे ही नही बल्कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, इंडोनेशिया जैसे 50 से ज्यादा देशों में बेची जाती है।
2013 में एनफील्ड की कुल 81446 मोटरसाइकिल बिकी ओर 2014 में 51 फीसदी ग्रोथ के साथ 123018 मोटरसाइकिल बेची।
ओर अभी कुछ महीनों पहले 18 सितम्बर 2017 को ही रॉयल एनफील्ड की क्लासिक 350 ओर 500 मॉडल की बाइक लॉन्च की गई।


तो दोस्तो बस आज के लिए इतना ही।।
यह आने के लिए धन्यवाद।।




PULSE टॉफी का इतिहास और कुछ रोचक बातें

हैल्लो दोस्तो मै AV HINDI CREATORआज आपके लिए लेकर आया हूँ एक रोचक ब्लॉग जो कि आप को जरूर पसंद आएगा।
आज का यह ब्लॉग PULSE CANDY पर है जिसे आपने कभी न कभी जरूर खाया होगा।
तो समझ नष्ट न करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए शुरू करते है-



– कहानी पल्स टॉफी की:-

दोस्तो यह तो सुना था कि बून्द बून्द से घड़ा भरता है लेकिन यह कभी नही सुना कि 1-1 रुपये से 300 करोड़ हो सकते है।
दोस्तो में बात करने जा रहा हु लगभग 3 साल पहले लांच हुई PULSE CANDY की, जिसने अपनी लॉन्चिंग के महज 8 महीने में 100 करोड़ ओर 2 साल में 300 करोड़ का बिजनेस कर लिया है।
रजनीगंधा, पास पास और कैच मसाला बनाने वाली कंपनी  DS GROUP ने साल 2015 में इस कच्चे आम की स्वाद वाली टॉफी को बनाया था, जिसके बाद इस टॉफी ने बहोत जल्द विश्व की बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियों को पीछे छोड़ कर लोगों की जुबान पर अपनी जगह बना ली।

दोस्तो ऐसी बात भी नही है कि भारतीयों ने इस स्वाद की टॉफी पहले कभी नही खाई इससे पहले भी PARLE, KCHA MANGO BITE ला चुका है।
लेकिंन प्लस ने इस स्वाद को एक नया रूप दिया और कच्चे आम के स्वाद के साथ इसमे कुछ खट्टे, मीठे मसाले इसमे डाले गए, जो कि इस के स्वाद को एकदम अलग और बहोत मज़ेदार बनाता है।

अब यहा तक कि इसका क्रेज़ इतना ज्यादा था कि कुछ लोगो ने तो शुरुआत में तो इसके पूरे डिब्बे ही खरीद लिए थे, ओर इस कारण मार्केट में इसकी डिमांड बहोत ज्यादा हो गई ओर सप्लाई कम जिस कारण यह ब्लैक में मिलने लगी थी ओर कुछ लोकल कंपनीयो ने तो इसका डुप्लीकेट निकालना भी शुरू कर दिया।

दोस्तो ds group की इस टॉफी को सबसे पहले फरवरी 2015 में ट्रायल के लिए गुजरात मे लॉन्च किया गया था जहाँ लोगो ने इसे इतना पसंद किया कि इसकी सप्लाई पूरे भारत मे होने लगी ओर देखते ही देखते इस 1 रुपये की कीमत वाली टॉफी ने 300 करोड़ रुपये की बिक्री करते हुए OREO जैसी मल्टीनेशनल कंपनी को भी पीछे छोड़ दिया, इससे पहले 2011 में लॉन्च हुए oreo बिस्किट की बिक्री 283 करोड़ हुई थी ओर COCA-COLA द्वारा खुब प्रचार किए गए COC ZERO बिक्री भी 120 करोड़ रह चुकी है।

और हा इस टॉफी की खास बात यह भी है कि इस के प्रचार में कोई खास खर्चा नही किया गया, इसका स्वाद ही कुछ ऐसा था कि लोगो ने इसे खुद उपयोग में लिया और दोस्तो को भी खाने को बोला ओर इस तरह इस टॉफी की डिमांड बढ़ती गयी।
ds group ke सीनियर वाईस प्रेसिडेंट शशांत शुराणा का कहना है की यह टॉफी अपने स्वाद के कारण लोगो  की पसंद बनती जा रही है ओर अब हम इसे सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका की दुकानों पर भी बेचने की तैयारी में है।

दोस्तो अब अंत मे हमे इस टॉफी की सफलता की एक शब्द में बताना हो तो वो है नवीनीकरण, pulse ने भी parle की कच्चे मैंगो बाईट की तरह टॉफी बनाई लेेकिन इसमे उन्होंंने खट्टे, मीठे मसाला का प्रयोग कर एक नया प्रोडक्ट मार्केट में उतारा, और अगर इस दुनिया में किसी भी व्यक्ति ने कोई नये आईडिया के साथ काम किया है तो उसे जरुर सफलता मिली है।

आशा करता हूं कि आपको पल्स टॉफी के स्वाद के साथ इसकी यह कहानी भी पसन्द आई होगी, ओर हो सकता है कि अभी आपका मन इसे खाने का कर रहा हो।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।।
यहा आने के लिए धन्यवाद।।

शनिवार, 10 मार्च 2018

गूगल की रोचक बातें

नमस्कार दोस्तों आपका एक बार फिर स्वागत है, मै AV HINDI CREATOR आज आपके लिए लेकर आया हूँ कुछ रोचक बातें  गूगल की, जो कि आपको जरूर पसंद आएगी, तो समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।

तो चलिए शुरू करते है:-


― गूगल की कुछ रोचक बातें ―



दोस्तों आज के इस ब्लॉग में, मैं आपको बताऊंगा Google से जुड़े हुए कुछ रोचक तथ्य, दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं Google दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियो में से एक है।
 आज Google दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है Google के नाम का मतलब तो बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन आज इंटरनेट का मतलब Google है, Google 1 सेकेंड में करीब ₹1,30,900 कमाता है।

 Facebook के संस्थापक मार्क ज़ुकेरबर्ग का नाम तो आपने सुना ही होगा लेकिन क्या आप को गूगल के संस्थापक का नाम पता है उनका नाम है LARRY PAGE & SERGEY BRIN.

Google के 40 देशों में 17 से भी ज्यादा ऑफिस है और यह अपने आप में एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है, Google ने पिछले 12 सालों में 127 कंपनियों को खरीदा है अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि Google कितनी बड़ी कंपनी है।

 Google में फिलहाल 47,000 से भी ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं मगर अब तक Google के कई कर्मचारी अरबपति बन चुके हैं वैसे तो Google की आय कोई नहीं बता सकता मगर Google की सालाना आय करीब 50 अरब डॉलर है।

 आपको यह तो पता ही होगा कि Android ऑपरेटिंग सिस्टम Google की ही देन है पर क्या आप यह जानते हैं कि हर पांच में से चार स्मार्टफोन एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर ही चलते हैं।

 Google ने अपने हेड ऑफिस में लगभग 200 बकरियों को घास खाने के लिए रखा हुआ है दरअसल Google अपने ऑफिस में घास काटने की मशीन का उपयोग नहीं करता क्योंकि इससे निकलने वाले धुएं और आवाज से वहा काम कर रहे कर्मचारियों को परेशानी होती है।

 हर हफ्ते 20,000 से भी ज्यादा लोग गूगल में जॉब अप्लाई करते हैं, Google की 95% से भी ज्यादा कमाई उसके द्वारा प्रकाशित विज्ञापनों से आती है, दोस्तों यकीन मानिए आपकी पलक झपकते ही Google ने ₹50,000 कमा लिए होंगे।

 आप अक्सर सोचते होंगे की Google शब्द कहां से आया चलिए मैं आपको बताता हूं, दरअसल 1 के पीछे सौ 0 लगाने पर जो संख्या बनती है उसे Googol कहा जाता है और इसी शब्द से ही बना है Google अब आप यह सोच रहे होंगे कि Google का नाम Googol क्यों नहीं रखा गया ? दरअसल Google का जो नाम रखा गया है वह एक स्पेलिंग मिस्टेक है मतलब टाइप करते समय Googol की जगह Google टाइप हो गया और नतीजा आपके सामने हैं।

 Google ने YouTube को 2006 में 1.65 बिलियन यूएस डॉलर में खरीदा था उस समय कई लोगों ने इस डील को Google की एक बड़ी गलती माना था, पर  आज YouTube को पूरी दुनिया में हर महीने करीब 6 अरब घंटो तक देखा जाता है।

 क्या आप जानते हैं Google पर हर सेकंड में 60,000 से भी ज्यादा सर्च किए जाते हैं, 2010 के बाद Google ने प्रति सप्ताह कम से कम एक कंपनी को खरीदा है, Google ने अपने स्ट्रीट व्यू मैप के लिए 80,46,000 किलोमीटर सड़क के बराबर फोटोग्राफ लिए हैं।

 गूगल का पूरा सर्च इंजन 100 मिलियन गीगाबाइट का है उतना डाटा अपने पास सेव करने के लिए हमें एक टेराबाइट की 1,00,000 से भी ज्यादा ड्राइवस की जरूरत होगी।

 Google ने अपने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम को ABCD के अल्फाबेट के अनुसार नाम दिए है और वह नाम कुछ इस प्रकार है:-

1.A- Alpha
2.B- Beta
3.C- Cupcake
4.D- Donut
5.E- Eclair
6.F- Froyo
7.G- Gingerbread
8.H- Honeycomb
9.I- Ice Cream Sandwich
10.J- Jelly bean
11.K- Kitkat
12.L- Lollipop
13.M- Marshmallow
14.N- Naught

Google को Yahoo कंपनी ने एक मिलियन डॉलर में खरीदना चाहा था लेकिन ऐसा नहीं हो सका, 2005 में Google ने गूगल मैप और Google earth जैसे नई एप्लीकेशन लॉन्च की, इसमें ऐसे फीचर्स है जो की पल भर में पूरी दुनिया को नाप देते हैं, वही अब इसकी पहुंच चांद और मंगल ग्रह तक भी हो चुकी है।

 गूगल के होमपेज पर अट्ठासी भाषाओं का प्रयोग किया जाता है, गूगल सर्च इंजन का निक नेम पयप्रब है, Google के आने से पहले Yahoo और एमएनएस का इस्तेमाल होता था लेकिन Google अपने लॉन्च के कुछ समय बाद ही इतना लोकप्रिय हो गया कि उसने सभी को पीछे छोड़ दिया।

 आई एम फीलिंग लक्की पर क्लिक करके आप Google के अब तक के सारे logos को देख सकते हैं, Google हर दिन अपनी प्रोसेसिंग के लिए 20 फिटाबाईट इन्फॉर्मेशन इस्तेमाल करता है इसके लिए इसे 1मिलियन कंप्यूटर्स की आवश्यकता होती है।

 Google लोगों को बेस्ट रिजल्ट्स दिखाने के लिए 200 से भी अधिक बातों का ध्यान रखता है और सेकंड के छोटे से हिस्से में ही बेस्ट रिजल्ट निकाल कर दे देता है।


तो दोस्तो बस आज के लिए इतना ही।
यह आने के लिए धन्यवाद।।

शुक्रवार, 9 मार्च 2018

साईकिल का इतिहास

हैल्लो दोस्तो मै AV HINDI CREATOR आज आपके लिए लाया हूँ एक हिस्टोरिकल ब्लॉग जिसमे आज मैं आपको बताने वाला हूं साईकिल का पूरा का पूरा इतिहास , जिसमे कुछ रोचक बातें भी है।
तो अब समय नष्ट न करते हुए शुरू करते है।

तो चलिए शुरू करते है:-



आज के समय में वाहन की बात की जाए तो एक से बढ़कर एक लाजवाब गाड़ियां उपलब्ध है, कभी एक समय था जब हर किसी के पास साइकिल होती थी आम लोगों के लिए इससे बढ़िया यातायात का साधन कोई होता ही नहीं था।
 आज के समय में इसका वजूद कहीं खोता जा रहा है अब सड़कों पर कार और बाइक इतनी ज्यादा दिखाई देती है कि साइकिल का तो कोई नाम भी लेने को तैयार नहीं, भले ही यह आज हमारे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन इसका इतिहास बताता है कि यह कितनी खास थी।



― साईकिल का इतिहास History of Cycle ―

साइकिल के इतिहास में कई लोगों का योगदान रहा है इसीलिए किसी एक को इसका श्रेय देना आसान नहीं है, इसका इतिहास आज भी वैज्ञानिकों के बीच एक बहस का मुद्दा बना हुआ है साइकिल का असल जनक कौन है यह बताना थोड़ा मुश्किल है साइकिल के असली निर्माता के बारे में भले ही किसी को नहीं पता हो लेकिन इससे जुड़ी हुई कुछ धारणाएं जरूर है।

 माना जाता है कि पहिए के एक वाहन बनाने की शुरुआत 1418 में की गई थी GIOVANNI FONTANA नामक इटली के इंजीनियर को सबसे पहले साइकिल का निर्माता माना जाता है, साइकिल के प्रचलन में आने से कई सालों पहले ही इसकी खोज शुरू हो गई थी, कहते हैं की साइकिल शुरुआत से ही दो पहियों की नहीं होती थी इसे चार पहियों वाला बनाया गया था इसे ऐसा इसलिए बनाया गया था क्योंकि इसे चलाने में कोई बाधा ना आए GIOVANNI FONTANA ने चार पहिया वाहन जैसा ही कुछ बना दिया था लेकिन 400 सालों तक किसी ने उस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया था और उनकी यह खोज वक्त की धूल में कहीं दबी रह गई।

 400 साल बाद 1813 में एक जर्मन इन्वेंटर KARL FREIHERR VON DRAIS ने साइकिल बनाने का जिम्मा अपने ऊपर लिया, 1817 में उन्होंने चार पहिया साइकिल को बदलकर दोपहिया कर दिया और उनका यह आविष्कार काफी लोकप्रिय हुआ, यूरोप में उसे लोग हॉबी हॉर्स के नाम से जाना करते थे, उन्होंने साइकिल का निर्माण तो कर दिया था पर उनकी साइकिल में अभी भी बहुत सी कमियां थी सबसे बड़ी बात तो यही थी कि उनकी बनाई गई साइकिल को चलाने वाले को अपने पैरों से धकेलना पड़ता था जिससे यह काम बहुत थका देने वाला होता था इस मेहनत को खत्म करने के लिए ही पैडल का आविष्कार हुआ।

 पैडल बनाने का श्रेय स्कॉटलैंड के एक लोहार जिसका नाम KIRKPATRICK MACMILLAN था उन्हें जाता है, कहते हैं कि 1839 में उन्होंने कुछ लोगों को साइकिल को चलाते हुए देखा, उसने गौर किया कि वह लोग साईकिलों को अपने पैरों से धक्का मार रहे हैं साइकिल इस तरह चलाने से सब जल्दी थक जाएंगे और उसका मजा कम हो जाएगा, इसी सोच के चलते वह साइकिल चलाने के आसान तरीकों को ढूंढने लगे क्योंकि वह एक लोहार थे इसलिए उन्होंने अपने हुनर का इस्तेमाल करते हुए साइकिल के लिए कुछ बनाने की सोची और उन्होंने कुछ ही वक्त में पैडल तैयार कर लिया उन्होंने जैसे ही इसे साइकिल में लगाया साइकिल का पूरा हिसाब ही बदल गया, अब उसे पहले की तरह धक्का देकर चलाने की जरूरत नहीं थी अब वह ज्यादा आरामदायक हो गई थी उनकी बनाई गई साइकिल लकड़ी के फ्रेम की थी लेकिन पहियों को मजबूती देने के लिए लोहे का प्रयोग किया गया था साइकिल को सब चला सके इसलिए उन्होंने इसमें स्टेरिंग भी लगाया, उन्होंने इसमें बहुत सी चीजें लगा दी थी जिस कारण साइकिल का वजन काफी बढ़ गया था माना जाता है कि उनकी साइकल का वजन करीब 26 किलो था।

 समय के साथ इसमें कई सुधार किए गए 1870 में आई साइकल अब पूरी तरह से धातु की फ्रेम की हो गई थी, इसके साथ ही अब इसमें रबड़ के टायर का इस्तेमाल भी शुरू हो गया था रबड़ के प्रयोग से साइकिल की सवारी और भी आरामदायक हो गई थी 1870 से 1880 तक इस तरह की साइकिल को PENNY FARTHING कहां जाता था, इसको अमेरिका में बहुत लोकप्रियता मिली इसने बहुत से लोगों का ध्यान अपनी और खींचा क्योंकि इसका आगे का पहिया बहुत बड़ा और पीछे का पहिया बहुत छोटा था, इसे चलाने में थोड़ी असहजता तो होती थी लेकिन उस समय बस यही एक साइकिल थी जो चलाने योग्य थी, माना जाता है कि यह साइकिल सुरक्षित नहीं होती थी इसमें दुर्घटना का ज्यादा खतरा था।

 अब किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे एक सुरक्षित साइकिल बनाई जाए, 1880 में इस काम को JOHN KEMP STARLEY द्वारा अंजाम दिया गया, जब उन्होंने रोवर साइकिल का निर्माण किया, कहते हैं कि यह पहली बार था जब किसी साइकिल को मौज मस्ती के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा के लहजे से भी बनाया गया था, इसकी खासियत यह थी कि इसमें पहले की साइकिलों की तरह पेडल आगे के पहियों में नहीं बल्कि पीछे के टायर से जुड़े होते थे जैसे कि अभी की साइकिल में होते हैं, इसके बाद से साइकिल के इतिहास में काफी तेजी आई।

 1920 के दशक में बच्चों के लिए साइकिलो को बनाना शुरु कर दिया गया, 1960 के दशक में साइकिल इतनी लोकप्रिय हो गई की इनका प्रयोग रेसिंग में भी किया जाने लगा, समय के साथ-साथ साइकिल में कई बदलाव किए गए और आज के समय तक साइकिल में बदलाव जारी है, पहले कभी पैैैडल वाली साइकिल हुआ करती थी उसके बाद उनमें गियर जैसी सुविधाएं भी दी गई, कई तरह के धातुओं से साइकिल को बनाने का काम चलने लगा क्योंकि अब जमाना डिजिटल हो रहा है इसलिए साइकिल पर भी इसका असर दिख रहा है।

 आज के जमाने में इलेक्ट्रॉनिक साइकिले आने लगी है यह बहुत ही डिजिटल तकनीक के साथ आती है, इनमें बैटरी का प्रयोग होता है और इन साइकलों का चलन आज के समय में बहुत हो रहा है इनके अंदर ट्रैकर तक लगा होता है जिससे इसे कोई चुरा ना सके, इलेक्ट्रॉनिक हो या पैडल वाली, साइकिल बहुत ही बढ़िया सवारी रही है हां यह बात भी सही है कि वक्त के साथ इस का चलन भी थोड़ा कम हुआ है लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से अभी भी इसका कोई विकल्प नहीं है वैसे भी बदलती तकनीक ने इसको चलाने का रोमांच और भी बढ़ा दिया है।


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यहाँ आने का धन्यवाद।।

Top 5 India vs Pakistan Most Selling Bikes

नमस्कार, दोस्तों में Av Hindi Creator आज आपके लिए लेकर आया हूँ एक खास ब्लॉग जो कि आपको जरूर पसंद आएगा , आज के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे  इंडिया और पाकिस्तान की टॉप 5 बाइक्स के बारे में जो कि सबसे ज्यादा बिकती है, ओर में आपको इन बाइक्स की पिक्चर भी साथ मे  दिखाता  लेकिन कॉपीराइट के कारण नहीं दिखा पा रहा इसलिए आप चाहे तो इन बाइक को Google पर सर्च करके इनकी पिक्चर्स देख सकते हैं, तो अब ज्यादा समय न नष्ट करते हुए शुरू करते है।


तो चलिए करते है शुरू:-




TOP 5 PAKISTANI BIKES ―

1.HONDA CD 70CC :-

दोस्तो पाकिस्तान में यह बाइक सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइक है, इस बाइक में 70 cc का बड़ा इंजन लगा है और इसकी जो डिजाइनिंग है वो काफी क्लासिक है या फिर कहे सकते है कि आउटडेटेड है लेकिन यह 21 वी सदी में पाकिस्तान की सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइक है।
इसका माइलेज 70km/litter जो कि इसकी कंपनी का कहना है और यह हौंडा की पाकिस्तान में सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइक है और इसका प्राइस 65,000 पाकिस्तानी रुपये है।



2.HONDA CG125CC:-

इस बाइक का भी पहले वाली बाइक की जैसा ही डिजाइन है बस इसमे इंजन को थोड़ा बड़ा कर दिया गया है।
यह बाइक मुश्किल से 100 की स्पीड तक पहुंच पाती है और इसकी माईलेज है वो भी कम है 45kmpl, इस बाइक में आगे की तरफ सेफ्टी के नाम पर कुछ भी नही है, ओर ऊपर जो बाइक बताई गई थी उसमें भी फ्रंट में लेग गार्ड नही है।
इस बाइक में सब कुछ ओपन छोड़ा गया है, सिक्योरिटी का कोई लेना-देना ही नही है हौंडा वालो को जबकि यह एक जापानीज कम्पनी है और लोगो को विश्वास है कि जपनिज कम्पनी अपनी क्वालिटी और सेफ्टी के लिए जानी जाती है, लेकिन पाकिस्तान में इसका उलट है वहां पर सामान्य चीजें भी बाइक में नहीं दी गई है, इस बाइक में सेल्फ स्टार्ट भी नहीं है और साथ  ही एलॉय व्हील भी नहीं है, इस बाइक में सब  कुछ सिंपल है मतलब की बस किक मारो और निकलो सेफ्टी ऊपर वाले के भरोसे ओर इसकी प्राइस है 1 लाख 10 हजार पाकिस्तानी रुपये।



3.HONDA PRIDOR:-

3 नम्बर पर भी हौंडा की ही बाइक है यह 100cc की बाइक है, पहले इस बाइक का नाम HONDA CD 100 था लेकिन अब इसका नाम HONDA PRIDOR हो गया है।
इसमे 4 गियर शिफ्ट है, यह 3 नम्बर की सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइक है पाकिस्तान की, इसकी स्पीड लिमिट 90kmph है और इसका माइलेज है 50kmpl जो कि कम्पनी का कहना है, इसका प्राईज है 90,000 पाकिस्तानी रुपये।



4.CHINESE BIKE:-

नम्बर 4 पर है चाइनीज बाइक जो कि हौंडा सीडी 70 की तरह ही दिखती है, लेकिन बस इसके सारे पार्टस चाइना से आते हैं वहां के लोकल कंपनीस इसे असेंबल करके भेजती है।
 फिर पाकिस्तान में ऐसी बहुत सारी कंपनियां है जो इन बाइक को वहां बेचती है, जिनकी डिजाइन लगभग एक जैसी ही होती है बस उनका नाम चेंज हो जाता है, सीधे शब्दों में कहें तो बहुत सारी कंपनियां मिलकर इस बाइक को बेचती है बस कंपनी का नाम चेंज हो जाता है जैसे कि क्राउन, रोड प्रिंस आदि।
यह सब चाइना से बाइक को इंपोर्ट करके पाकिस्तान में बेचते हैं जिस कारण यह सब कंपनियां मिलाकर 4 नंबर पर आती है और यह एक तरह से Honda की कॉपी बेचते है।



5.YAMAHA YBR 125:-

यह बाइक पाकिस्तान की सबसे आकर्षक और बेस्ट लुकिंग बाइक है, यह बाइक 125cc की है और यह बाइक 130kmph तक जा सकती है ओर इसका माईलेज कम्पनी के अनुसार 60kmpl है, यह बाइक पाकिस्तान में यामाहा का बेस्ट प्रोडक्ट है।
इसका प्राईज थोड़ा ओवर प्राइस है, इसके कारण यह 5 नम्बर पर है, इसका प्राइस 1 लाख 35 हजार पाकिस्तानी रुपये है ओर सिर्फ इसी बाइक में सेल्फ स्टार्ट दिया गया है।



TOP 5 INDIAN BIKES ―

1.HERO SPLENDOR+:-

इस बाइक को आप इंडिया की शान कहे लो या फिर लोगो की पहली पसंद कहलो, यह इंडिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली बाईक है, इस बाइक में लगा है 97cc का इंजन, इसमे सेफ्टी के लिए फॉन्ट में लेग गार्ड है, साइड इंडिगेटर भी है और इसके साथ ही इसमे सेल्फ स्टार्ट है और एलॉय व्हील भी है ओर किक भी है।
ओर इसका डिजाइन कभी भी पुराना नहीं हो सकता क्योंकि एक तरह से इसका डिजाइन एक रेट्रो डिजाइन है, इसका माईलेज 81kmpl है जो कि कम्पनी का कहना है, और इसकी प्राइस है 51,000 इंडियन रुपये।
आप Hero कम्पनी कर बारे में पूरी तरह से जान सकते है मेरे इस ब्लॉग में:- हीरो मोटरसाइकिल का इतिहास



2. HERO PASSION PRO:-

यह बाइक दो वेरिएंट में आती है एक है x pro ओर दूसरी है passion pro, इसमे से एक मे लगा है 97cc का इंजन ओर दूसरी में लगा है 110cc का इंजन, दोनों ही बाइक लगभग एक जैसी ही दिखती है, इसमे डिस्क ब्रेक का भी ऑप्शन मिलता है, यह भी एक बेस्ट लुकिंग बाइक है इंडिया में ओर 2 नम्बर की सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइक है इंडिया में, इसका माईलेज 84kmpl है जो कि कम्पनी का कहना है, इसमे एलॉय व्हील, सेल्फ स्टार्ट, डिजिटल फयूल मीटर भी है और इसकी प्राइस है 56,000 इंडियन रुपये।



3.HONDA CB SHINE:-

हौंडा इंडिया में क्वालिटी और इंजन की बिल्ड क्वालिटी के लिए जानी जाती है, हौंडा की बाइकस इंडिया में महँगी होती है लेकिन इनके इंजन काफी ड्यूरेबल होते है।
यह बाइक 65kmpl का माईलेज देती है कम्पनी के अनुसार ओर इसकी टॉप स्पीड 100kmph है, इसे ट्रस्टेड बाइक भी बोल सकते हैं, इसमे भी डिस्क ब्रेक का ऑप्शन मिलता है साथ ही इसमे सेल्फ स्टार्ट, एलॉय व्हील आदि जैसी सुविधाएं भी है और इसकी प्राइस है 60,000 इंडियन रुपये।



4.BAJAJ PULSAR 150:-

आप इस बाइक को नए यूथ की सबसे पसंददीदा बाइक भी बोल सकते हो, पहले इंडिया की मोटरसाइकिल मार्किट सुस्त पड़ी थी लेकिन इस बाइक के आजाने पर इस मार्किट में तेजी आगयी।
bajaja का pulsar 150 सबसे सफल वर्जन है, इस बाइक में dtsi ट्रिपल स्पार्क इंजन है, इसका माईलेज 45kmpl है जो कि कम्पनी का कहना है, इसमे डिजिटल मीटर, फ्रंट में डिस्क ब्रेक, सेल्फ स्टार्ट ओर किक भी है।
यह तीन वेरियंट्स में आती है एक है 150, 180 ओर 200cc में भी बीच मे आयी थी लेकिन वो बन्द हो गयी, अब इसके 2 वेरियंट उपलब्ध है, इसका प्राइस 76,000 इंडियन रुपये है और इसकी टॉप स्पीड आप मान के चलो 140kmph, इसका डिजाइन भी बहुत अच्छा है।



5.ROYAL ENFIELD:-

यह बाइक इंडिया की सबसे पुरानी बाइक है यह इंडिया की शान है, यह कम्पनी सबसे बड़ा इंजन ओर बेस्ट लुक प्रोवाइड करती है।
इस बाइक के तो इंजन ही 350cc से स्टार्ट होते है, इस बाइक की आवाज धुक-धूक आती है, जब यह आपके पास से गुजरती है तो ऐसा लगता है कि भूकम्प आ रहा है।
यह बाइक परफॉर्मेंस के लिए नही बल्कि क्रुसिंग के लिए बनी है, यह हैवी रोड्स के लिए बनी है, इस बाइक का टॉर्क बहोत ज्यादा है, आप इससे स्पीड की उम्मीद नहीं कर सकते, यह बाइक लगभग पूरी तरह से मेटल की बनी है, यह बहोत भारी बाइक है, नॉर्मल आदमी तो इसे सम्हाल ही नही सकता, अब इस बाइक में सेल्फ स्टार्ट ओर किक स्टार्ट दोनो है पहले इसमे सेल्फ स्टार्ट नही था जिस कारण इसे हर कोई नही चला सकता था।
इसकी प्राइस है 1लाख 40 हजार इंडियन रुपये, यह 350cc ओर 500cc में उपलब्ध है, इसका डिजाइन क्लासिक है और काफी यूनिक है जो कि हर किसी को बहुत पसंद आता है और यह बाइक बिग बाइक की तरह फील देती है।
अगर आपको इसके बारे में ओर जानना है तो आप मेरे इस ब्लॉग को पढ़ सकते है:- रॉयल एनफील्ड का इतिहास


तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही।
यह आने का धन्यवाद।।